10 October, 2014

आज फिर खिलकर, बिखरा पारिजात ....!!


अजस्र सौरभ सहस्त्रधारा ,
लाई वसुंधरा
नवल सौगात !!
मेघ घटाएँ छाई
गगन में
तिरता धवल चंद्रमा,
आई शरद-ऋतु की रात  !!

आज फिर उमगी मंजुल  चंद्रिका ,
बरसे नैसर्गिक आह्लाद ,
उपवन में मेरे
सुरभित दिव्य रास 
 खिलकर निखरा ,बिखरा पारिजात ....!!


03 October, 2014

प्रगाढ़ हरित अवलंब की छत्र छाया में......



इस  विराट वटवृक्ष के   ....
प्रगाढ़ हरित अवलंब  की छत्र छाया में
सत्व पूर्ण एक नीरवता है,
अविच्छिन्न .....!!

हथेलियों पर आक्रोश
ग्रहण करती  हुई,
सायास  प्रकाश बचाने के प्रयास में 
अकंपित अविचलित रहती हूँ मैं
प्रलयकारी  इस वेग में भी .......!!

और इस तरह बचा ले जाती हूँ 
तूफान के बीच भी
अंजुरी में सँजोयी
 वो दिये की लौ
                                        जो अंततः 
उज्ज्वल कर देती है  
हमारा जीवन .......!!

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सभी का जीवन उज्ज्वल प्रकाशमय हो ....विजयदशमी की अनेक शुभकामनायें !!