31 December, 2014

चल मन उड़ चल पंख पसार ....!!

शब्द अपने कितने स्वरूपों में
अवतरित ,
खटखटाते हैं 
मन चेतन द्वार ,
लिए निष्ठा अपार ,
झीरी से फिर चली आती है
धरा के प्राचीर पर
रक्तिम .....
पलाश वन सी .... 
रश्मि  की कतार
नवल वर्ष  प्रबल  विश्वास
सजग  है मन
रचने नैसर्गिक उल्लास,
हँसते मुसकुराते से
 भीति चित्र ,
प्रभात का स्वर्णिम  उत्कर्ष,
शबनमी वर्णिका का स्पर्श ,
एक विस्तृत आकाश का विस्तार ,
बाहें पसार ...
चल मन उड़ चल पंख पसार ....!!
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आप सभी को नव वर्ष 2015 की अनेक अनेक मंगलकामनाएं !!सभी के लिए यह वर्ष शुभ हो ऐसी प्रभु से प्रार्थना है !!