24 July, 2015

भोर हो गई ...!!

रात्रि के नीरव एकांत में ,
चाँद रौशन हुआ ,
मन का जब दीप जला,
पथ प्रदर्शित हुआ !!
मन चिन्मयानन्द  हुआ   …!!
बहती हवाओं में ,
फिर मेरा मैं चलता ही रहा ,
वो दीप जलता ही रहा …!!

माँ की दुआओं से ,
मन के अडिग विश्वास से ,
सदाओं का तेल भरता ही गया ,
 असर ऐसा रहा ,
वो दीप जलता ही रहा
मेरा मैं
अपनी राह चलता ही रहा    …
और …
और भोर हो गई ...!!