06 September, 2015

मृदुल राग की बानगी .....!!

मृदुल राग की बानगी ,
नभ घन भर लाई  ,
कुंतल सी उड़ती कारी
उजियारी मन पर छाई ...!!


जा री बदरी  बांवरी
निरख न मेरो भेस ,
मुतियन बुंदियन  बाट तकूँ मैं,
कब  सुलझाऊँ केस ……?

आस घनेरी छाई नभ पर ,
बरसे मन  हुलसाती  ,
पतियाँ  भीगी ,
लाई मुझ तक
कुहुक  कोयलिया गाती    …!!

निमुवा  फूले मनवा  झूले ,
मियां मल्हार की  बहार ,
सावन की ऋतु नेह बरसता ,
हरियाई  मनुहार    …!!