15 July, 2017

शब्द-शब्द हाइकू ...

 दाना चुगती ...
चिड़िया   भर लाती ...
अनोखे शब्द ....


उडती जाऊं ...
खलिहान  पहुँचूं......
शब्द समेटूं ....



बीन  बटोर .....
शब्द शब्द कुमुद ...
गुंथी है माला ...


शब्द तिनके  ...
बीन लाई हूँ जैसे ...
सजे सृजन ..



नीड़ बनाऊँ ....
बीन बटोर लाऊँ ...
शब्द सजाऊँ ...





अर्पण करूँ ....
प्रभु  तुमरे द्वार ....
शब्द  संसार .....



शब्दों से प्रभु  ...
सजादो  मेरा मन ....
कविता  खिले ...






शब्द की कथा ....
बने मन की व्यथा ....
भावना बहे ....



मन की व्यथा ...
 बूँद सी कोरों पर    ...
बनी  सविता


व्यथा मुखर ....
शब्द हुए प्रखर .....
काव्य निखर .....







01 July, 2017

बहती जैसे झर झर करुणा...

राह तकन  के
दिवस नहीं अब
ठहरा था समय ,
कई जुग सा बीता....

मोम सा पिघलाव लिए
झरते मेघ
बरसे उराव लिए ,
प्रकृति सजल आकृति भई ,
भई श्रावण वरुणा
बहती जैसे  झर झर करुणा....

मन मुदित पात पात हरसें
मृदुल मनोहर मेघ बरसें
अविरल नयनन सों
धार बहे पानी
श्याम ने आवन की जानी ,
शब्द ने मेरे मन की मानी
बहती सरिता सी
नदिया की रवानी,
देखो ... गाती आज  प्रकृति ...
प्रीत  की अनमोल कहानी ...!!