12 July, 2022

घन तुम बरसो ,


 घन तुम बरसो ,

घननन बरसो ,

ताल ताल में 

ग्वाल बाल की थाप  बनो 

मन राधा घनश्याम बनो 

प्रीत बनो तुम सरसो 

घन तुम बरसो !!


घन तुम बरसो ,

फूल फूल में 

पात पात में 

रंगों से मिल 

खिल खिल 

मेरे जिय में हरसो 

घन तुम बरसो 


अनुपमा त्रिपाठी 

  'सुकृति '

6 comments:

  1. बारिश का भी अपना एक अलग ही आनंद है लेकिन मर्यादा में
    बहुत सुन्दर

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  2. बारिश का भी अपना एक अलग ही आनंद है लेकिन मर्यादा में
    बहुत सुन्दर

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  3. घन प्यासी धरा पर मन भर बरसें, यही कामना करते हैं हम। अभिनंदन आपका।

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  4. वर्षा को सुंदर आमंत्रण!

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  5. वाह ! वर्षा ऋतु पर सुंदर, सरस अभिव्यक्ति ।

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  6. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

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