02 October, 2022

यूँ ही रहता हूँ !!!

ज़िन्दगी की हसीन पनाहों में यूँ ही फिरता हूँ ,

तेरी तस्वीर को आँखों में लिए फिरता हूँ !!

आवारगी की ये कैसी इन्तेहाँ हो गई 

तेरे संग धूप में छाया में यूँ ही फिरता हूँ 

मेरी मस्ती को मेरी हस्ती की ये कमज़ोरी न समझ 

तू ही तू है तेरी यादों में यूँ ही रहता हूँ !!!


तेरे आने की खबर ले के हवा आती  है 

तेरे रुखसार पे अलकों सी घटा छाती है 

तेरे उस नूर का हर पल मैं यूँ दीदार करूँ 

इसी हसरत में यूँ ही शाम ओ सहर जीता हूँ 

अनुपमा त्रिपाठी 

   ''सुकृति ''