tag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post3213419602918571598..comments2024-03-05T14:36:27.519+05:30Comments on anupama's sukrity : मर्म का भेद ....!!Anupama Tripathihttp://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-72245601009988678002011-06-09T17:49:29.633+05:302011-06-09T17:49:29.633+05:30एक उम्र कितनी कम है ..
एक छोटी सी बात ....
समझने...एक उम्र कितनी कम है ..<br />एक छोटी सी बात ....<br />समझने के लिए ..!<br /><br /><br />शायद कई जन्म भी कम ही पड़ें. उम्दा रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-31523040571647583932011-06-09T16:50:39.308+05:302011-06-09T16:50:39.308+05:30मद में डूबा ..
चिन्मय विमुख ..
क्यों छुपा हुआ है ...मद में डूबा ..<br />चिन्मय विमुख ..<br />क्यों छुपा हुआ है इंसान<br />हर समय ..<br />एक नकाब में ...मर्म का भेद....समझ समझ के भी-कठिन गणित सा .. कुछ समझ न आये -तो कैसे समझूं ...?आँख तो दिखती है ..<br />चेहरा दीखता ही नहीं ...!!<br />insaan ke dohare byaktitva per prakash dalati hui bahut sunder shabdon main likhi anoothi rachanaa.badhaai sweekaren.prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-54257642101481484512011-06-09T15:59:23.694+05:302011-06-09T15:59:23.694+05:30एक उम्र कितनी कम है ..
एक छोटी सी बात ....
समझने क...एक उम्र कितनी कम है ..<br />एक छोटी सी बात ....<br />समझने के लिए ..!बहुत गहरी बात गहन अभिव्यक्ति...<br /><br />बधाई !Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-25600846298270814542011-06-09T14:54:40.955+05:302011-06-09T14:54:40.955+05:30मेरी रचना पढ़ने और अपने विचार देने के लिए आभार ..!...मेरी रचना पढ़ने और अपने विचार देने के लिए आभार ..!!<br />एक ही इंसान अलग अलग मुखौटा लगाये या इंसान हर समय एक झूट का मुखौटा लगाये रहे ...<br />बात वहीँ आ जाती है ...<br />झूठ का मुखौटा बहुत कष्ट देता है ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-36204937866483770252011-06-09T12:23:32.509+05:302011-06-09T12:23:32.509+05:30गहन अभिव्यक्तिगहन अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-46129434654652842402011-06-09T12:16:22.963+05:302011-06-09T12:16:22.963+05:30एक उम्र कितनी कम है ..
एक छोटी सी बात ....
समझने...एक उम्र कितनी कम है ..<br />एक छोटी सी बात ....<br />समझने के लिए ..!<br /><br />बहुत गहन चिंतन...जीवन के यथार्थ को बहुत सटीकता से उकेरा है..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-68983089196676809102011-06-08T20:39:30.818+05:302011-06-08T20:39:30.818+05:30आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यह...आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके पोस्ट की है हलचल...जानिये आपका कौन सा पुराना या नया पोस्ट है यहाँ........... <br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> नयी-पुरानी हलचल</a>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-24237846238984386352011-06-08T09:38:36.831+05:302011-06-08T09:38:36.831+05:30मुखौटा , नकाब , स्वांग , बहुरूपिया - एक चेहरे पे क...मुखौटा , नकाब , स्वांग , बहुरूपिया - एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग - पर शायद क्या ऐसा है ? मुझे लगता है ये सारे चेहरे उसी आदमी के हैं , पर कौन सा असल है , यही पहचानना है .Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08928212793008107322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-31133824859067294412011-06-08T06:53:03.028+05:302011-06-08T06:53:03.028+05:30जीवन एक अनबुझी पहेली तो है ही.आपने अच्छी तरह से अभ...जीवन एक अनबुझी पहेली तो है ही.आपने अच्छी तरह से अभिव्यक्ति दी है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-39995055860958869552011-06-07T23:51:27.996+05:302011-06-07T23:51:27.996+05:30आपकी रचना पढ़कर इतनी बात मेरी समझ में आई कि जीवन का...आपकी रचना पढ़कर इतनी बात मेरी समझ में आई कि जीवन का एक बड़ा हिस्सा गफलत में निकल जाता है। जब जीवन के रहस्यों की पहचान होने लगती है तो मुठ्ठी में से रेत की तरह से जिन्दगी फिसल जाती है........इस बाबत मुझे डा० तश्ना आलमी की गजल का एक मतला याद आ रहा है।<br />++++++++++++++++++++<br />जिंदगी जब समझ में आने लगी।<br />मौत दरवाजा खटखटाने लगी॥ <br />डा० तश्ना आलमी <br />======================<br />-डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-55112061686342396592011-06-07T23:41:41.750+05:302011-06-07T23:41:41.750+05:30तपती धूप और ..
सेहरा पर चलते चलते -
जीवन की पूँजी ...तपती धूप और ..<br />सेहरा पर चलते चलते -<br />जीवन की पूँजी समझ -<br />मुठ्ठी में रेत ही भरी मैंने .....!!<br />घडी की टिक-टिक<br />चलती रही निरंतर ....<br />वक्त गुजरता गया ..<br />क्षण-क्षण कटता गया ...<br />फिसलती चली गयी रेत...!!!<br />और ...<br />आया हाथ कुछ भी नहीं ...!<br /><br />यही जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है जिसे हम सबसे बड़ी दौलत मान कर सहेजते समेटते रहते हैं वह कब चुक जाती है और हमारे जीवन में अनंत रिक्तता का बेहद पीडादायी अहसास भर जाती है पता ही नहीं चलता ! बहुत खूबसूरत रचना ! बधाई स्वीकार करें !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-87157313576837168202011-06-07T14:23:57.157+05:302011-06-07T14:23:57.157+05:30सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवब रचना लि...सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवब रचना लिखा है! बधाई !Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-21481751476414159572011-06-07T06:34:58.035+05:302011-06-07T06:34:58.035+05:30एक उम्र कितनी कम है ..
एक छोटी सी बात ....
समझने...एक उम्र कितनी कम है ..<br />एक छोटी सी बात ....<br />समझने के लिए ..!<br /><br />बहुत सुन्दर सूत्र!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-71293534616190819072011-06-06T22:23:14.685+05:302011-06-06T22:23:14.685+05:30यदि समझना चाहे तो पल में समझ आ जाये।यदि समझना चाहे तो पल में समझ आ जाये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-27434145032645703712011-06-06T17:07:11.920+05:302011-06-06T17:07:11.920+05:30इस विषय पर तो जन्मों लग जाएं तब भी न समझ आए यह माय...इस विषय पर तो जन्मों लग जाएं तब भी न समझ आए यह माया!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-49093647701025396572011-06-06T16:58:01.620+05:302011-06-06T16:58:01.620+05:30एक उम्र कितनी कम है इक छोटी सी बात समझने के लिये.....एक उम्र कितनी कम है इक छोटी सी बात समझने के लिये... बहुत सुंदर ! और गहरे विचारों का अवलोकन करती कविता !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-53032497816862132562011-06-06T12:49:16.334+05:302011-06-06T12:49:16.334+05:30बहरूपियों के
इस भीड़ भरे मेले में ..
अपनी राग ...बहरूपियों के <br />इस भीड़ भरे मेले में ..<br />अपनी राग गाऊँ <br />या न गाऊँ ...?<br />दग्ध सी ... <br />दुविधा में पड़ी -<br />सोच में डूबी ..!!<br />तपती धूप और ..<br />सेहरा पर चलते चलते -<br />जीवन की पूँजी समझ -<br />मुठ्ठी में रेत ही भरी मैंने .....!!bahut hi achhe bhawरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1256317236222701096.post-66404611278077918142011-06-06T12:17:42.152+05:302011-06-06T12:17:42.152+05:30बहरूपियों के
इस भीड़ भरे मेले में ..
अपनी राग ...बहरूपियों के <br />इस भीड़ भरे मेले में ..<br />अपनी राग गाऊँ <br />या न गाऊँ ...?<br /><br />बहुत गहरी बात कही है कविता में.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com