01 July, 2011

यह कविता है ...!!

कल्पना नहीं  ...
मित्थ्या  नहीं ...

मनोव्यथा  ,सत्य कथा...
अन्तः प्रज्ञा है  सबकी ही ...
यह कविता है ..!! 

लेखा-जोखा हम सब का  ...
गंगा,जमुना, सरस्वती जैसे ...
मन बुद्धि और जीवन के 
अनुभव का संगम ..
यह कविता है ..!!


हर जीवन निकष 
से उपजी ..
विजय-पराजय  गाथा ..     
यह कविता है ...!!

पीड़ा है कुछ मेरी भी ...
कुछ इसकी उसकी ..
देखो इसमें मिल जाये कुछ 
अपने मतलब का-
 तुमको भी ...
यह कविता है ....!!

लीला है सुखदायी मन की ...
कुछ रागों,अनुरागों की ...
या शबरी  , सावित्री , के 
जीवन को गाते शब्दों की ...
यह कविता है ...

माला है कुछ गुन्धी हुई ..
ताजे -बासे   फूलों की ..!!
सौरभ है निशि वासर  के -
 
अद्भुत दृश्यों से -
उपजे पनपे .. -
सुंदर से  भावों की....!!
यह कविता है ....
.
सरिता सी कल-कल
है चंचल ...
गागर सी -
उमगे है ..
छल-छल...
सागर सी -
गहरी गहरी 
मन मोहमयी है .....!!
यह कविता है ....

लेखा जोखा  हम सब का .....
गंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
मन बुद्धि और जीवन के 
अनुभव का संगम ...
यह कविता है ....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

42 comments:

  1. मन बुद्धि और जीवन के
    अनुभव का संगम ...
    यह कविता है .
    bilkul sahi -kavita sangam hi to hai sab prakar ke bhao ki .bahut sundar .

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  2. बेहतरीन कविता.

    सादर

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  3. वाह, बहुत खूब बहुत सुंदर

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  4. सही कहा| कविता संगम ही तो है|

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  5. कविता का बहुत सुन्दर चित्रांकन किया है।

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  6. सच कहा ..बस यही कविता है.
    सुन्दर.

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  7. लेखा जोखा हम सब का .....
    गंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
    मन बुद्धि और जीवन के
    अनुभव का संगम ...
    यह कविता है ....!bahut sahi kaha aapne kavitaa ke baare main.yahi to kavita
    hai.bahut achche bhav liye atisunder
    rachanaa.badhaai sweekaren.

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  8. मन बुद्धि और जीवन के
    अनुभव का संगम ...
    यह कविता है


    -तभी इतनी बेहतरीन बन पड़ी है...

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  9. लीला है सुखदायी मन की ...
    कुछ रागों,अनुरागों की ...
    या शबरी , सावित्री , के
    जीवन को गाते शब्दों की ...
    यह कविता है ...waah

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  10. जो कविता सबका मन व्यक्त करती है, उसके भावों को व्यक्त करने का सुन्दर प्रयास।

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  11. Anupama ji kavita ke bhaavon ko bahut sunder tareeke se prastut kiya hai.bahut achcha.

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  12. saheeee..

    kavita bahut kuchh kah jati hai....kam lafzon me badee baat...yahi to kavita ki visheshta hai....

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  13. लेखा जोखा हम सब का .....
    गंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
    मन बुद्धि और जीवन के
    अनुभव का संगम ...
    यह कविता है ...

    जी हाँ यही कविता है.... बहुत सुंदर भाव....

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  14. Anupama ji,
    vastav men yahee kavita hai, badhai,sundar prastuti ke liye.

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  15. बेहतरीन! अच्छी कविता कभी सतही नहीं हो सकती.

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  16. सरिता सी कल-कल
    है चंचल ...
    गागर सी -
    उमगे है ..
    छल-छल...
    सागर सी -
    गहरी गहरी
    मन मोहमयी है .....!!
    anupma ji aapki ye kavita dekh to lagta hai ki swayam kavita bhi moh me fans gayee hai.bahut sundar.

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  17. लीला है सुखदायी मन की ...
    कुछ रागों,अनुरागों की ...
    या शबरी , सावित्री , के
    जीवन को गाते शब्दों की ...
    यह कविता है ...
    बहुत खूब ,मार्मिक सृजन ,सराहनीय .......

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  18. बहुत अच्छा लगा ||

    बधाई |

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  19. मन के उदगार , इस कविता के द्वार . उत्फुल्ल हुआ ह्रदय अपरम्पार .

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  20. अब जब ज़िंदगी ही कविता है तो उसके आगे कुछ भी कहना कम है न ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  21. "सरिता सी कल-कल
    है चंचल ...
    गागर सी -
    उमगे है ..
    छल-छल...
    सागर सी -
    गहरी गहरी
    मन मोहमयी है .....!!"

    वाह !! बहुत सुन्दर रचना अनुपमा जी |
    मेरे ब्लॉग में आपका सादर आमंत्रण है |
    http://pradip13m.blogspot.com/

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  22. बहुत भावपूर्ण कविता |
    "पीड़ा है कुछ मेरी भी ---कुछ इसकी उसकी --देखो इस में मिल जाए कुछ - अपने मतलब का -तुम को भी "
    मन छूती पंक्तियाँ |आशा

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  23. कविता को परिभाषित करती ..............भावपूर्ण सुन्दर कविता

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  24. अद्भुत,अनुपमेय ..और क्या कहूँ?

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  25. सबके मनोभावों का प्रतिबिम्ब जहां मिल जाए वही सच्ची कविता है ! आत्मीय भावनाओं से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर रचना !

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  26. मन बुद्धि और जीवन के
    अनुभव का संगम ...
    यह कविता है ...behad khoobsurti se likha hai.....

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  27. कुछ रागों,अनुरागों की ...
    या शबरी , सावित्री , के
    जीवन को गाते शब्दों की ...
    यह कविता है .

    bus yehi kavita jo kitni hi badi gathaon ko kuch shabdon mein likh dene mein bhi saksham hoti hai...
    aapne bahut sunder chtran kiya hai!!aabhar

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  28. लगता है पानी बहुत बरसा है उधर . नदी में बाढ़ सी आयी हुई है . सारे तटबंध तोड़ कर बह चली है , अब तो कविता . बहुत सुन्दर प्रवाह से भरी रचना .

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  29. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना! उम्दा प्रस्तुती!

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  30. सुन्दर प्रस्तुति..कविता का स्वरूप बताती ख़ूबसूरत कविता

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  31. कविता के अंदाज़ को कविता के माध्यम से ही लिख दिया आपने ... बहुत खूब लिखा है ..

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  32. सुंदर भाव प्रवण रचना.

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  33. कल्पना नहीं ...मित्थ्या नहीं ...
    मनोव्यथा ,सत्य कथा...अन्तः प्रज्ञा है सबकी ही ...
    यह कविता है ..!!

    कविता के मूल को पहचान कर उसको सुंदर शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत कर आपने जैसे कविता को जीवंत कर दिया है...

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  34. आद अनुपमा जी,
    कविता की अनुपम परिभाषा कहती है आपकी कविता...
    साथ ही आपकी गहरी आध्यात्मिक अभिव्यक्ति बाँध लेती है... सुकून मिलता है आपकी रचनाओं को पढ़कर...
    निरंतरता बनाए रकने के लिए ब्लॉग का अनुशरण कर लिया है...

    मेरा उत्साह वर्धन करने के लिए आभार...
    सिलसिला बनाए रखने का अनुरोध...
    सादर....

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  35. आप सभी का आभार ...आपकी टिप्पणियों से ही प्रफुल्लित मन कुछ और नए रास्ते खोजने लगता है ...कुछ नया लिखने की चाह उपजने ..पनपने ..लगती है ..!!अपना स्नेह ..अपना आशीर्वाद बनाये रखियेगा ....

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  36. बहुत अच्छी कविता पढ़ने को मिली, आपका आभार।

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  37. पीड़ा है कुछ मेरी भी ...
    कुछ इसकी उसकी ..
    देखो इसमें मिल जाये कुछ
    अपने मतलब का-
    तुमको भी ...
    यह कविता है ....!!

    वाह अनुपमा दी क्या कविता है !
    आप कुछ लिखें और उसमे संगीत ना हो ऐसा हो ही नहि सकता ..प्रभु कि असीम कृपा है आप पर दीदी !

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  38. जल-सजलता है छलकती शब्द बन कर.
    तब कहीं बहते सलिल सी ,
    मुक्त-छंदा , मृदु - मरंदा ,
    अमृत - कविता बह निकलती ..
    (http://www.facebook.com/The.Eternal.Poetry)
    कविता के रूपायन पर ----

    आपकी अतिशय मृदु एवं रमणीय रचना

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!