15 May, 2012

चली.... मैं अब अपने देस चली .......!!

मैया   प्रथमेश पूजे ....
सखियाँ गायें  मंगल गान ....
पुलकित मन छेड़े सुख तान ...!!
धन-धन भाग जागे ......
सजन संग ऎसी लगन लागे  ........
छूटी बाबुल की गली ......
सखियाँ ...सब छोड़  चलीं .......
मैं पियु की पियु मेरे .......
झूमे रे मन सांझ-सवेरे ...!!

मनभावन की रस-बतियाँ ...
मैं डूबी री दिन-रतियाँ ...
लाज  की ओढ़े चुनरिया ...
हवा से  सुरभि लिए  ..
महकूँ मन भीतर ..बह चली ..
जग से ही नाता तोड़ चली ...!!

कर सोलह सिंगार ....
खिला -खिला  लागे संसार ..
नैन भरे प्रेम नीर ....
ह्रदय कोई देखे चीर ....
बिदाई देता मेरा वीर ...

मन में संस्कार ...
प्रभु  से मनुहार .......
सर पर हाथ प्रभु का .....
काँधे पर हाथ पिया का .....
हाथ भर अंजुरी ...
चावल,हल्दी,सुपारी,छुहारा,मखाने ,रूपया,चवन्नी .....
ममता भरी ओली ...
आली ..अब तो ...चली ....
मैं  अपने देस चली .......!!

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छोटी बहन के विवाह उपरान्त मन में उपजे भाव ...............!!
लिखे बिना मन  न हीं माना  ........!!
कैसी विचित्र बात है ...यही भाव प्रभु से भी मन जोड़ते हैं ....!!

23 comments:

  1. bahut hi gehre bhav hai .......bahut sunder

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  2. सुकोमल , चंचल , सुन्दर भाव उपजे उस क्षण विशेष के ...

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  3. मैं पियु की पियु मेरे .......
    झूमे रे मन सांझ-सवेरे ...!!

    मनभावन की रस-बतियाँ ...
    मैं डूबी री दिन-रतियाँ ..

    gahan bhavon ke sath prabhavshali prastuti Anupama ji .....prabhavshali rachana hetu abhar

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  4. खूब सामंजस्य बिठाया है भावों का...!

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  5. वाह .... सारी रस्मों को समेटे , सुंदर भाव लिए खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  6. भूल चली बाबुल का देस...सुंदर भाव!!!

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  7. विदाई के क्षण की सुकोमल अनुभूतियों को सुन्दर भाव और शब्द मिले . आपकी इस कवित अको पढने से कुछ क्षण पहले मै रामचरित मानस में सीता विवाह प्रसंग पढ़ रहा था. सुखानुभूति हुई . अति सुन्दर ..

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  8. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  9. गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।

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  10. बहुत प्यारा भावपूर्ण गीत.मन की गहराइयों से उपजा.

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  11. मन में संस्कार ...
    प्रभु से मनुहार .......
    सर पर हाथ प्रभु का .....
    काँधे पर हाथ पिया का .....
    हाथ भर अंजुरी ...
    चावल,हल्दी,सुपारी,छुहारा,मखाने ,रूपया,चवन्नी

    बहुत गहन भाव लिए सुंदर रचना,..अच्छी प्रस्तुति

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,

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  12. सुंदर भाव लिए प्यारी सी मनमोहक रचना...
    सादर

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  13. ममता भरी ओली ...
    आली ..अब तो ...चली ....
    मैं अपने देस चली .......!! वाह: बहुत चंचल सुकोमल मधुर मधुर भाव लिए आली मैं तो निशब्द भई......

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  14. लौकिक और पारलौकिक भावों में महीन सी ही रेखा है..या फिर लोक की यात्रा से ही प्रभु तक जाया जाता है..अति सुन्दर कृति..

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  15. आपको बधाई, सुख के उद्गार है, ईश्वर हो, परिवार हो, जीवन सुखमय बना रहे।

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  16. सहज...सरल भाव इस मन के अपनों के लिए ...उस इश के लिए ...बहुत खूब

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  17. इस कविता की चित्रात्मकता हमारे सामने विवाहोत्सव का चित्र साकार कर देता है।

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  18. बहुत सुन्दर भाव .....दार्शनिक अनुभव होता है इस रचना में ..........

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  19. सुन्दर विन्यास

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  20. सुन्दर शब्द चयन और रचना |
    आशा

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  21. आप सभी का बहुत बहुत आभार ...!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!