10 October, 2012

कविता सी गुन गुन गाये ......!!

मंगल दिन .....
उज्ज्वल मन कहे ....
अनुभास सो प्रकाश छायो.......

मन रमायो.......
अनुराग है  छायो......
ले  हरी नाम ......
मन मनन गुनन की बेला ....

काहे निकला अकेला ....?




हरी मूरत जिस मन मे ...
मन कहाँ अकेला ......??
मन पंछी बन गाये ......
मन सरिता बन बह जाये .....
मन फूल बने  खिल जाये ............
मन सूरज सा ...मन रश्मि सा ....मन तारों  सा ....मन चन्दा सा .....
झर झर झरते उस अमृत सा ....!!!!!

मन मे तरंग  जब  जागे .......
कुछ स्पंदन जो  दे जाये .....
मन झूम झूम रम जाये ....
उर सरोज सा दिखलाए ......!!
कविता सी गुन गुन  गाये ......!!
कविता सी गुन गुन गाये .....!!

36 comments:

  1. झर झर झरते उस अमृत सा ...
    -------------------------------
    जितनी तारीफ़ की जाए वो कम है...
    मन को दिव्य शांति का एहसास कराती रचना

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  2. बाह: सुन्दर भावो के साथ खुबसूरत चित्र..बहुत सुन्दर..अनुपमाजी..

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  3. वाह बहुत खूब ...


    विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर देश के नेताओं के लिए दुआ कीजिये - ब्लॉग बुलेटिन आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम देश के नेताओं के लिए दुआ करते है ... आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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    1. बहुत आभार शिवम भाई .....

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  4. dil khush ho gaya ......bahut accha ....

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  5. चारों तरफ अगर की खुशबू,प्रातःकालीन छटा और प्रार्थना के स्वर .... अक्सर तुम्हारे लिखे को मैं गुनगुना उठती हूँ

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  6. शब्द चित्रों की उम्दा प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  7. शब्द प्रार्थना बन जायें जब

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  8. बहुत सुन्दर....
    हमारा मन भी गुनगुनाने लगा.....गाने लगा...

    सादर
    अनु

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  9. संगीत के सुरों में डूबी गुन गुन ...माँ को विभोर कर गई अनुपमा जी बहुत बहुत बधाई

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  10. मन के कितने रूप हैं और कितने सुंदर है सभी -एक अलोकिक रचना

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  11. मन ही उजियारा जब-जब जागे,जग उजियारा होय !

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  12. कुछ स्पंदन जो दे जाये .....
    मन झूम झूम रम जाये ....
    उर सरोज सा दिखलाए ......!!
    कविता सी गुन गुन गाये
    bahut hi sundar geet..

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  13. मन मे तरंग जब जागे .......
    कुछ स्पंदन जो दे जाये .....
    मन झूम झूम रम जाये ....
    उर सरोज सा दिखलाए ......!!
    कविता सी गुन गुन गाये ......!!
    कविता सी गुन गुन गाये .....!!

    BEAUTIFUL LINES WITH GREAT FEELINGS

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  14. शब्द और चित्र दोनों अद्भुत...बधाई

    नीरज

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  15. प्रेम की चाशनी में पगी मधुर सी रचना...प्रकृति के सभी रूपों में मन उसी को देखता है...मन ही देवता मन ही ईश्वर..यह गीत भी स्मरण हो आया..आभार!

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  16. मन सूरज सा ...मन रश्मि सा ....मन तारक सा ....मन चन्दा सा .....
    झर झर झरते उस अमृत सा ....!!!!!
    सुंदर संगीतमयी प्रस्तुति हेतु आभार..........

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  17. वाह ... बहुत ही उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

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  18. उत्तम प्रस्तुति ..........

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  19. जब मन में हरि हैं बसे तब मन कहाँ है अकेला...जितनी तारीफ़ की जाए कम है
    अनूपम प्रस्तुति अनुपमा जी...बधाई!!

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  20. ये कविता कहाँ है..ये तो कोई मधुर गीत सा है...सुबह सुबह मन प्रसन्न हो गया दीदी!!

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  21. बेहतरीन प्रस्तुति । मन गुनुननाने लगा है ।

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  22. मन को तरंगित करते भाव ...बहुत सुन्दर

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  23. सुबह की ओस गुलाब की पंखुरियों में मोती की तरह चमक रही है .पक्षियों का कलरव और और अविरल सुगन्धित पवन ह्रदय में प्रसन्नता भर रहे है .आपकी कविता पढने के बाद सुखानुभूति से ह्रदय गदगद हो जाता है . बहुत सुन्दर .

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  24. मुझे शास्त्रीय संगीत का कोई ज्ञान नहीं है..यदि जीवन कभी सुअवसर देता मैं आपसे बस थोड़ा सा जानना चाहूंगी आमने-सामने से . आपकी कविता उसी लय की होती है..

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  25. अनुपमा जी आपके ब्लॉग का लुक देख कर ही मन प्रसन्न हो जाता है |रचना बहुत अच्छी लगी |
    आशा

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  26. मन मे तरंग जब जागे .......
    कुछ स्पंदन जो दे जाये .....

    वाह !!

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  27. रचना भक्तिपूर्ण पर अलग से होती हैं ...बहुत खूब अनुपमा जी

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  28. Itni sundar ki gaane ko mann kar gaya :)

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  29. मन को मनन हेतु प्रेरित करती प्रार्थनामयी सुंदर रचना।

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  30. सुंदर चित्रों से सजी बेहतरीन कविता.

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  31. बहुत सुन्दर मननीय शब्द चित्र..

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  32. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!