15 October, 2013

हाइकु ...संवेदना ....

ज्यों टूटकर ...
गिरती पीली पात  .....
बीतते लम्हें ...


 रैन  न बीते ....
ये  क्षण रहे रीते ....
आस न जाए ...

कुछ तो कहो ....
ऐसे चुप न रहो ....
नदी से बहो .....



संवाद से ही ....
मुखरित  होती है ...
संवेदनाएं ....


ठिठक गई ....
मूक सी हुई जब ...
संवेदनाएं ....



संवेदना ही ..
ज्योति है जलाये ...
जीवन खिले ....

मानवता ही ...
परम दया धर्म .....
एक मुस्कान ...


तरंग जैसी .....
छू जाती हैं  मन को .....
संवेदनाएं ....


सृजन खिला ... ..
संवेदनशील हो .....
तरंग बना ...





32 comments:

  1. आदरणीया अनुपमा जी, संवेदनाओं से भरी संवेदनशील बेहतरीन रचना के लिए अनेकों बधाई !

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  2. ज्यों टूटकर ...
    गिरती पीली पात .....
    बीतते लम्हें ...

    बहुत खूब .

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  3. रैन न बीते ....
    ये क्षण रहे रीते ....
    आस न जाए ...... बहुत खुबसूरत हायकू

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  4. संवाद से ही ....
    मुखरित होती है ...
    संवेदनाएं ....

    बेहद सुंदर हाइकू !

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  5. हृदय से आभार शास्त्री जी .....!!

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  6. बहुत ही सुन्दर हाइकु....
    :-)

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  7. संवेदना और संवेदनशीलता के विभीन आयाम , अच्छे लगे .

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  8. वाह, बेहतरीन हाइकु हैं...

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  9. बहुत सुंदर ...
    बधाई !

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  10. आपकी यह रचना आज बुधवार (16-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 147 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
    एक नजर मेरे अंगना में ...
    ''गुज़ारिश''
    सादर
    सरिता भाटिया

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    1. हृदय से आभार आपका ....!!

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  11. इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-17/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -26 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....

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    1. हृदय से आभार आपका ....!!

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  12. उम्दा हाइकू ..

    ज्यों टूटकर ...
    गिरती पीली पात .....
    बीतते लम्हें ...

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  13. सुन्दर हाइकू....

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  14. बहुत सशक्त भाव अभिव्यक्ति अर्थगर्भित।


    संवाद से ही ....
    मुखरित होती है ...
    संवेदनाएं ...

    .संवाद करते से हैं सब के सब हाइकु।

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  15. कम शब्दों में गहरी बात।

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  16. कम शब्दों में गहरी बात।

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  17. तरंग जैसी .....
    छू जाती हैं मन को .....
    संवेदनाएं ....

    अनुपमजी, गागर में सागर जैसी हैं आपकी यह सूक्ष्म भाव लहरियां..आभार!

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  18. वाह , बहुत खूबसूरत हाइकु ...

    संवेदनहीन
    हो गया है हृदय
    खाली खाली सा ।

    संवाद नहीं
    दरकता है मन
    मौन ही मौन ...

    हाइकु पढ़ कर कुछ यूं ही खयाल उपजे :)

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    1. आभार दी बहुत सुंदर लिखा ....बहुत ही सुंदर ॥

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  19. सारे हाईकू एक से बढ़ कर एक ! बहुत सुंदर अनुपमा जी !

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  20. कुछ तो कहो ....
    ऐसे चुप न रहो ....
    नदी से बहो .....

    मन का कोना कोना रिक्त करो
    वाह

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  21. हाइकु आप सभी ने पसंद किए ....हृदय से आभार ...!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!