13 March, 2014

तुम मुझे बहुत अपने से लगते हो

रुके हुए से शब्द
ढलक जाते हैं ...
अनायास ...
बिन मौसम भी
बरस जाते हैं नयन कभी ..
फिर भी क्यूँ
झरती हुई बारिश
आँख के कोरों पर रुकी हुई
नहीं दिखा  पाती है
हृदय के समुंदर में छुपे
कुछ  अनमोल  मोती ........!!
*************************************

अपने ही भीतर ढूंढती हूँ खुशी जब ,
तुम मुझे बहुत अपने से लगते हो ,
बंद है मुट्ठी मेरी,
सम्बल  है मेरे पास तुम्हारा ,
मेरे सभी अपनों  का ,
और बढ़ता  जाता है
रोज़ इसका दायरा ,
तभी तो 
दुख में भी
होती तो है बिन मौसम बरसात
फिर भी 
गिरते नहीं आँख से आँसू 
और सुख में 
हँसते हँसते 
आँख छलछला जाती है ...!!

..

30 comments:

  1. यही तो मुश्किल है यहाँ पूरी तरह कुछ नहीं होता ,परस्पर विरोधों का तालमेल हर जगह !

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  2. यही तो मुश्किल है यहाँ पूरी तरह कुछ नहीं होता ,परस्पर विरोधों का तालमेल हर जगह !

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  3. सुंदर भाव
    होली की अग्रिम शुभकामनायें :)

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  4. विरोधाभास है आंसुओं का ,
    दुःख में सूखे , सुख में छलके !

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  5. अपने गहरे भीतर अधूरेपन की तलाश में ....सिर्फ एहसास व एहसास कि.... तुम सच में अपने से लगते हो...

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  6. सुखद अहसास पिरोये नारी मन का बयान...

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  7. समझ से परे है इसका राज.. अति सुन्दर कहा है..

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  8. संबल जीने की शांति देता है ... आंसुओं का क्या वो तो छलक आते हैं बिन बताए ...

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  9. सम्बल है मेरे पास तुम्हारा ,
    मेरे सभी अपनों का ,
    और बढ़ता जाता है
    रोज़ इसका दायरा ,

    स्व का दायरा बढ़ता जाता है जब..ऐसा ही होता है, तब आँसूं भी मीठे लगते हैं..

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  10. दुख में गिरते नहीं आँख से आँसू ।
    और सुख़ में छलक जाते हैं आँख से आँसू ।।
    beautiful lines ....and amazing feeling ...

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  11. अपने ही भीतर ढूंढती हूँ खुशी जब ,
    तुम मुझे बहुत अपने से लगते हो ,
    बंद है मुट्ठी मेरी,
    सम्बल है मेरे पास तुम्हारा ,

    Bahut sundar :-)

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  12. तुम मुझे बहोत अपने से लगते हो ......सच तो है.....यह आँसू मेरे दिल की ज़बान हैं.....मैं रोऊँ तो रो दे आँसू ...मैं हँस दूँ तो ...हँस दे आँसू .....इनसे ज्य़ादा अपना भला और कौन है

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  13. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (14.03.2014) को "रंगों की बरसात लिए होली आई है (चर्चा अंक-1551)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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    1. शुभप्रभात ....हृदय से आभार राजेंद्र जी आपने चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान दिया ...!!

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  14. आपकी छोटी छोटी रचनाएं बहुत तीखी होती हैं.

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  15. कभी ख़ुशी कभी गम :)

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  16. मन बाहर जब मिल कर चाहें,
    तब कैसे न खुलती रोहें।

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  17. अनुपम भाव संयोजन .........

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  18. khushi aur dukh dono me sath nibhate hain aansu ....bahut sundar bhaw anupma jee ....

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  19. शुभप्रभात ....हृदय से आभार यशोदा ...हलचल पर मेरी रचना हलचल देगी ......बहुत प्रसन्न हूँ ...!!

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  20. bahut sundar ............man ka bhav aansuon me hi to chupa hota hai ...........

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  21. प्रेम से भीगी रंगों में सनी

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  22. अपने ही भीतर ढूंढती हूँ खुशी जब ,
    तुम मुझे बहुत अपने से लगते हो
    सुन्दर प्रस्तुति भावों की |
    भावुक शब्द , भावनाओं से ओत प्रोत |

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  23. बहुत ही सुन्दर रचनाएं....

    सस्नेह
    अनु

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  24. उसका पता तो उस बंधन में ही है. अति सुन्दर कृति.

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!