30 May, 2014

राह कठिन ,है बिपिन घना ......!!




Ignite the lamp of my heart ....my soul .....!!O Lord .....don't let my prayers go unheard ....!!just hold me before I fall ......!!

राह कठिन ,है बिपिन घना ......!!
कोयल की कूक में कामना,
मोरी प्रीत का सेतु प्रार्थना ,
आरत का सेतु अराधना
साधक का सेतु साधना
श्याम  तुम तक पहुँचूं  कैसे  .... ?
मीरा की पीर झरे झरना ,
मन की हूक रचे रचना
राह कठिन ,है बिपिन घना ......!!

05 May, 2014

शाश्वत अस्तित्व जीना है .......!!

धूप और छांव
दो पहलू  जीवन के
 सुख और दुख जैसे
दो पहलू प्रत्येक  मन के,
संपूर्णता या समग्रता हेतु,
कोई मिथ्या बोध नहीं,
कोई अनुमान  भी नहीं ...!!
चिर स्थाई  सद्भावना के लिये
आवश्यम्भावी है ,
अत्यंत धैर्य से सुख को जीना ,
उतनी ही प्रबुद्धता से ,
प्रचुरता से ,
दुख की सतह तक पहुंचना ,
दोनों को जीना ,
दोनों का सत्य जानना,
समझना ...अनुभूत करना ,
और फिर
बिना परखे साथ चलना ,
सत्पथ पर हर पल ,
जैसे वायु  सदा साथ रहती है
पृथ्वी की सतह पर
जीवन देने हेतु ,
नदी की सतह पर
दिशा देने हेतु ,
एक सशक्त शक्ति  लिए,
न दुख में मुख मोड़ना है,
न सुख मे प्रभु भजन  छोड़ना है ,
...बस इसी तरह
साथ चलते हुए ,
आभास से प्रभास तक
प्रत्येक प्रात की  उजास सा
मेरी अनुभूति को
प्रकृति के प्रेम की तरह ,
अपना  शाश्वत अस्तित्व जीना  है .......!!