तुम्हारे मेरे बीच की कड़ी
सिर्फ एहसास ही नहीं है,
सिर्फ शब्द ही नहीं है,
सिर्फ प्रेम ,ईर्ष्या ,द्वेष या
सिर्फ आक्रोश भी नहीं है
बल्कि संकुलता से परे ,
तुम्हारा वो सशक्त मौन है ,
मेरे चारों तरफ ,
जो तुम्हारे होने का प्रमाण देता है
अपनी ऊर्जस्वितता में,
और बांधे रखता है सदा ,
दुख सुख में ,
हमे इस अटूट बंधन में...!!