31 March, 2015

लीला धरते शब्द लीलाधर .....!!

लीला धरते शब्द लीलाधर .....!!

कभी जुलाहा बन
बुनते अद्यतन मन ....
समय  से जुड़े ,
बनाते  विश्वसनीय सेतु,


कभी खोल गठरी कपास की
बिखरे तितर बितर,
चुन चुन फिर सप्त स्वर,
शब्द उन्मेष
गाते गुनगुनाते,
बुनते धानी  चादर
गुनते जीवन
अद्यतन मन.......!!

शब्द फिर सहर्ष अभिनंदित,
स्वाभाविक स्वचालित,
सुलक्षण सुकल्पित,
रंग भरते मन
पुलक आरोहण ,
मनाते उत्स
रचते सत्व ,
लीला धरते शब्द लीलाधर .....!!

10 comments:

  1. जीवन के शब्द-शब्द में चमत्कार, सम्मोहन व आनंद है। सुन्दर भाव संयोजन।

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  2. मन कवि हो तो शब्द प्राण बन जाते हैं. जब-तब आनंद का निर्माण कर जाते हैं. आह्लादित करती है यह रचना.

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  3. वाह ! बहुत सुंदर भाव और उतने ही सार्थक शब्द बिम्ब...

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  4. वाह बहुत सुन्दर

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  5. शब्द और ध्वनि ... जीवन और सुजान अवस्था को माया लोग में खींच ले जाते हैं ... पता नहीं ये लीलाधर की लीला है या कुछ और ...

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  6. शब्द और भाव का सुंदर संगम

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  7. लीला धरते शब्द लीलाधर ...वाह!!

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  8. शब्दों को बोलते देर नहीं लगी जब लीलाधर की माया हो ..
    बहुत सुन्दर रचना ...

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  9. बहुत सुन्दर रचना ...

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!