''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
20 June, 2015
तुझ से ही हूँ मैं .....!!
तुझ से ही हूँ मैं,
तेरे दो आंसू
मेरी वेदना का समुंदर !!
तेरा हँसना ,
समग्र सृष्टि का होना है !!
आँगन में तेरा होना
समग्र सृष्टि का खिलना है !!
ह्रदय में तेरा होना ही मेरी सम्पूर्णता है !!
हाँ .....तुझ से ही हूँ मैं !!
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, २० जून, २०१५ की बुलेटिन - "प्यार, साथ और अपनापन" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
बहुत खूबसूरत कविता
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को शनिवार, २० जून, २०१५ की बुलेटिन - "प्यार, साथ और अपनापन" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
ReplyDeleteतुषार रस्तोगी जी ह्रदय से आभार आपने मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन पर लिया !!
Deleteसुन्दर भाव रचना...
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteसुन्दर अहसास
ReplyDeleteसुन्दर भावमय रचना ...
ReplyDeleteसुन्दरपंक्तियाँ
ReplyDeleteBeautiful...and true :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर |
ReplyDeleteऑसू ,हंसी,का अनूठा जुडाव कविता की चेतना हैं ।बधाई ।
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