''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
10 June, 2021
सुखनिता कविता हो ...!!
शीर्ष पर गोल कुमकुमी आह्लाद
प्रातः के नाद की
अलागिनी ,
ऊर्जा में निमृत
सुहासिनी ,
सत्व का अपरिमेय तत्त्व,
खिलता ही जाता
जैसे कोई अस्तित्व ,
तुम इस तरह
मुझ तक आती हुई
मेरी ही एक
सुखनिता कविता हो ...!!
वाह!बहुत सुंदर भावों की अथाह गहराई।
ReplyDeleteसादर
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार( 11-06-2021) को "उजाले के लिए रातों में, नन्हा दीप जलता है।।" (चर्चा अंक- 4092) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
आपका सादर धन्यवाद मीना भरद्वाज जी |
Deleteबहुत ही सुन्दर सृजन - - साधुवाद सह।
वाह
ReplyDeleteअन्तर्मन तक उतरती हुई गहरी अनुभूति दे गई आपकी उत्कृष्ट कृति ।
ReplyDeleteआपके शब्द-प्रयोग मेधा को चैतन्य कर जाते हैं।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह! शब्दों में दिव्यता को पिरो दिया गया है जैसे
ReplyDeleteतुम इस तरह
ReplyDeleteमुझ तक आती हुई
मेरी ही एक
सुखनिता कविता हो ...!!
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति अनुपमा जी,सादर नमन आपको
सत्व का अपरिमेय तत्त्व,
ReplyDeleteखिलता ही जाता
जैसे कोई अस्तित्व ---गहनतम लेखन....।
सत्व का अपरिमेय तत्त्व,
ReplyDeleteखिलता ही जाता
जैसे कोई अस्तित्व
वाह!!!
बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक...
लाजवाब सृजन
मन को छूती हुई भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteNice Post See About Samsung M32 Smartphone Here
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन लिखती हैं आप। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।
ReplyDeleteवाह! आलोक सा फैलाया सुंदर सृजन गागर में सागर।
ReplyDeleteसुनिता कविता।
Waah, bahut sundar
ReplyDeleteसुहृद पाठकों का सादर धन्यवाद जिन्होंने यहाँ अपने विचार दिए !
ReplyDeleteक्या क्या खिला देती हो , मन खिल जाता है । सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
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