आकुल नद की व्यकुलताएँ
राह नई नित खोज रही है
धरा पर धारा डोल रही है
वर्षा की रिमझिम बूंदों में
उमड़ घुमड़ घन की रुनझुन में
कजरी के बोलों में जैसे
सजनी जियरा खोल रही है
धरा पर धारा डोल रही है
बादल बरस रहा है अंगना
सजनी का जब खनके कंगना
हरियाली में प्रीत सुहानी
जीवन नव रस घोल रही है
धरा पर धारा डोल रही है !!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
जल कल कल कर बह जाता है...
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
धरा पर धारा कहाँ ये तो सजनी का जिया डोल रहा है ..... बहुत सुन्दर रचना .
ReplyDeleteरचना पसंद की,आपके स्नेह की आभारी हूँ !!
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (06-09-2021 ) को 'सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंगी अब तक' (चर्चा अंक- 4179) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
नमस्ते रवींद्र जी ,
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरी कृति को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु !!
सादर
प्रकृति का सुंदर श्रिंग़ार करती उत्कृष्ट रचना।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार. 6 सितंबर 2021 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
दी नमस्ते ,
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरी कृति को आपने इस पटल पर स्थान दिया !!
सादर
सुंदर शब्दों से सजी शानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
हरियाली में प्रीत सुहानी
ReplyDeleteजीवन नव रस घोल रही है
प्रकृति को सराहती सुन्दर रचना !
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन।
कोमल भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteअनुपम भावों में डूबना होता है यहाँ । अति सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteकजरी के बोलों में जैसे
ReplyDeleteसजनी जियरा खोल रही है ।
वाह! अनुपम सृजन।
कल कल करता जल महज एक धारा नहीं है ...
ReplyDeleteजीवन अमृत है ये प्राकृति की देन है ...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...
Bahot Acha Jankari Mila Post Se . Ncert Solutions Hindi or
ReplyDeleteAaroh Book Summary ki Subh Kamnaye