''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
गगन से अविरल बरसते हुए
मेघों में ,
मन के भाव की
ललित पुलकावलि ,
जब जब नित नवल
अलंकृत होती गई ,
बूँदन झरती आई ,
तब तब वो
अलौकिक शब्द
बने मुक्ताभ ,
निकेत बनी हृदयावलि …!!
अनुपमा त्रिपाठी
सुकृति
सुन्दर
बरसते मेघ की हृदयावलि बहुत सुन्दर
वर्षा का सुंदर चित्रण
सुंदर रचना है यह आपकी। कभी-कभी बरसती बूंदों के साथ एक हो जाने वाली हृदयावलि अश्रुपूरित भी होती है।
सुंदर,मनभावन सृजन,सादर नमन आपको
जब जब नित नवल अलंकृत होती गई ,बूँदन झरती आई ,बहुत खूबसूरत रचना
नभ का न जाने कौन सा संदेश लाते हैं मेघ।
बहुत खूबसूरत
वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण । छटा बिखेरते शब्द ।
नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!
सुन्दर
ReplyDeleteबरसते मेघ की हृदयावलि
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
वर्षा का सुंदर चित्रण
ReplyDeleteसुंदर रचना है यह आपकी। कभी-कभी बरसती बूंदों के साथ एक हो जाने वाली हृदयावलि अश्रुपूरित भी होती है।
ReplyDeleteसुंदर,मनभावन सृजन,सादर नमन आपको
ReplyDeleteजब जब नित नवल
ReplyDeleteअलंकृत होती गई ,
बूँदन झरती आई ,
बहुत खूबसूरत रचना
नभ का न जाने कौन सा संदेश लाते हैं मेघ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
ReplyDeleteवर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण । छटा बिखेरते शब्द ।
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