24 June, 2010

जीवन उत्सव .....!! -11

बुरा न देखूं --बुरा न सोचूँ ॥
मीठा बोलूँ --सुमधुर गाऊँ ॥
अच्छा ही लिख लिख कर -
अपना मन बहलाऊँ ॥

राम -राम रट -रट कर -
मरा -मरा पर विजय पा जाऊं ॥
मन का रावन मार गिराऊँ -
विजया दशमी रोज़ मनाऊँ ॥

मंगल गान मैं नित -नित गाऊँ
जीवन उत्सव की कामना तो-
जीवन उत्सव ही कहलाये -
जीवन उत्सव ही बन जाए ॥

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता..अंतर्मन की खूबसूरत अभिव्यक्ति. ..


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    'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !

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  2. "मन का रावन मार गिराऊँ -
    विजया दशमी रोज़ मनाऊँ"

    बहुत खूब और बहुत शुभ विचार

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  3. "मीठा बोलूँ --सुमधुर गाऊँ
    जीवन उत्सव ही बन जाए"

    सुन्दर दर्शन जीवन का.

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  4. jeevan utsav .....is a mind blowing poem......er sorry....i wud rather say its a life celebration sung by the writer!!!!!every word......every line speaks volumes of the clarity of the writer's mind.........ofcourse here i got to see a rare blend of a true ....crystal clear mind and the poet's poetic genius.....that carries the reader to a world one can define as ''sublime''

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  5. बुराई पर विजय का प्रतिक इस पर्व की हार्दिक बधाई दी. बहुत सुन्दर लिखा है .

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