02 February, 2011

30-क्या नाता जोडूं जीवन से ...!!!!

जीवन जाग रहा सदियों से -
मेरे सपनो में नींद भरी है -
जीवन भाग रहा है सरपट -
मेरी चाल अभी धीमी है -


बिंदु सी आकृती है मेरी -
विराट भुवन सा कलाकृत जीवन -
चलते चलते रुक जाता मन -
रुक रुक कर चलता है ऐसे -


सघन सोच में डूबी व्याकुल -
नित ही पूछूं अपने मन से -
क्या नाता जोडूं  जीवन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से  ....?


स्निग्ध श्वेत झीनी चुनरिया -
जीवन के रंग रंगे बसंती -
स्वरित शांत रहने का मन है -
जीवन की बातें चटकीली-


स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
कटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग-संग  कैसे....?


सघन सोच में डूबी व्याकुल -
नित ही पूछूँ अपने मन से-
क्या नाता जोडूं  जीवन से-
क्या नाता जोडूं  जीवन से ....!!!!-


-

27 comments:

  1. स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
    कटु सत्य जीवन हो जैसे -
    मैं सपना तो सच है जीवन -
    चलूँ भी तो संग कैसे -


    कविता का प्रत्येक शब्द जीवन से जुड़ा है ...पूरी कविता जीवन दर्शन का बोध करवाती है और हमें वास्तविकता से जोडती है ...आपका आभार अनुप्रिया जी

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  2. जीवन के रंग ऊबड़ खाबड़ हैं पर पकड़ के बैठे रहिये।

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  3. जीवन से संवाद स्थापित करने का प्रयास करती कविता !

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  4. जीवन की विडम्बनाओं से उपजा काव्य सत्य -कथ्य -बहुत अच्छी लगी यह काव्याभिव्यक्ति !

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  5. jeevan ke sare rang se parichay karati ek pyari rachna...:)
    abhar!!

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  6. स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
    कटु सत्य जीवन हो जैसे -
    मैं सपना तो सच है जीवन -
    चलूँ भी तो संग-संग कैसे....?
    ek khaas gahre khyaalon ka sundar varnan

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  7. कर्त्तव्य और महत्वाकंषाओं के बीच झूलता मन -
    जीवन से नाता कैसे जोड़ा जाये -
    क्या किया जाये क्या छोड़ा जाये ....!!
    मेरी रचना पढ़ने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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  8. कविता का भाव और लयात्मकता प्रशंसा के काबिल है.
    very good.

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  9. जीवन जाग रहा सदियों से -
    मेरे सपनो में नींद भरी है -
    जीवन भाग रहा है सरपट -
    मेरी रफ़्तार अभी धीमी है -

    बहुत मर्मस्पर्शी भाव..गहन जीवन दर्शन का बोध कराती, बहुत सुन्दर प्रवाहमयी प्रस्तुति..

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  10. गहन जीवन दर्शन से ओत प्रोत सरल अभिव्यक्ति.
    बहुत ही बढ़िया .
    शुभ कामनाएं

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  11. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  12. अनुपमा जी बहुत सुन्दर कविता है ! मन की उहापोह के साथ जीवन से जुड़ने की यह ललक मन को बहुत भाई ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  13. सघन सोच में डूबी व्याकुल -
    नित ही पूछूँ अपने मन से-
    क्या नाता जोडूं जीवन से-
    क्या नाता जोडूं जीवन से ....!!!!-

    जीवन के विविधरंगों से सजी-सँवरी
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  14. जीवन से तो नाता हरदम ही जुड़ा रहता है दोस्त इधर तोड़ो तो दूसरी तरफ जुड़ जाता है इससे भागना बहुत कठिन है इसलिए ख़ुशी - ख़ुशी गुजार दो इसे ! तो जिंदगी आसन जरुर होती जाएगी !

    भावपूर्ण रचना !

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  15. सघन सोच में डूबी व्याकुल -
    नित ही पूछूँ अपने मन से-
    क्या नाता जोडूं जीवन से-.....

    जीवन दर्शन से परिपूर्ण है आपकी कविता किन्तु पलायन की सोच से बच कर रहिए. कविता की शैली बहुत सुंदर है। बधाई।

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  16. बहुत ही बढ़िया.

    सादर

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  17. नाता तो जुड़ा ही होता है ...और इसे जीना ही जीवन है ..सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  18. स्वप्निल सी अनुभूति मेरी
    कटु सत्य जीवन हो जैसे
    मैं सपना तो सच है जीवन
    चलूँ भी तो संग-संग कैसे।

    यही तो जीवन के रंग हैं, कभी सपना ,कभी हकीकत।
    बहुत सुंदर काव्य अभ्व्यिक्ति।

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  19. स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
    कटु सत्य जीवन हो जैसे -
    मैं सपना तो सच है जीवन -
    चलूँ भी तो संग-संग कैसे...

    अपने आप से कुछ यथार्थ भरे प्रश्न करती रचना ... धाराप्रवाह लय में बहती हुई अभिव्यक्ति ...

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  20. स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
    कटु सत्य जीवन हो जैसे -
    मैं सपना तो सच है जीवन -
    चलूँ भी तो संग कैसे -
    अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई की पात्र है

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  21. जीवन जाग रहा सदियों से -
    मेरे सपनो में नींद भरी है -
    जीवन भाग रहा है सरपट -
    मेरी रफ़्तार अभी धीमी है -

    जीवन के दर्शन पर आधारित सुंदर कविता जिसमे भाव और ताल का सुंदर तालमेल है. बधाई.

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  22. jeewan ki vividhtao me hi to jiwan hai jise aapne khoobsurti se likha hai. badhayi.

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  23. स्निग्ध श्वेत झीनी चुनरिया -
    जीवन के रंग रंगे बसंती -
    स्वरित शांत रहने का मन है -
    जीवन की बातें चटकीली-.......

    बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

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  24. क्या नाता जोडूं जीवन से-
    बहुत सुंदर रचना ............बसंत पंचमी की शुभकामनाये

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  25. बेहद सारगर्भित और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  26. मेरी कविता पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .जीवन की विविधताओं के बीच ही हम एक एक पल जीते चले जाते हैं.
    इसी तरह ये खूबसूरत सफ़र चलता रहता है .

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  27. जीवन जाग रहा सदियों से -
    मेरे सपनो में नींद भरी है -
    जीवन भाग रहा है सरपट -
    मेरी रफ़्तार अभी धीमी है -
    --
    आखिरी लाइन को अगर

    "मेरी चाल अभी धीमी है"

    कर देंगी
    तो प्रवाह अच्छा हो जाएगा!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!