27 October, 2011

एक मुट्ठी माटी.......!!!!!


  अपने मन...वतन 
और  संस्कारों की
एक मुट्ठी माटी....
हाथ में बटोर कर ...
समेट  कर ...
कर ली बंद मुट्ठी ...

हाथ बंद मुट्ठी ...
पैर जीवन पगडण्डी पर ...
चल रही है अनवरत ..जीवन यात्रा ...
पड़ी कुछ वर्षा की बूँदें.....
मुझ पर ....
भीगी सी माटी....
सोंधी सी खुशबू ...

देखते ही देखते ...
खिल गयी कुछ कोमल कोपलें ...
समेट ली थी माटी ...
अब सहेजना है ...
इन्हीं कोमल कोपलों का जीवन ...!!!!!!!!!!!!


दीपोत्सव  पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें .......
शुभ ज्योति...नवल ज्योति....
ज्यों ...ज्यों ...
बिखेरे अपनी कीर्ति....
 बनी रहे परस्पर सबमे  स्नेह और प्रीती ...!!
इसी भावना से एक क्षमा याचना है कि कुछ दिनों से अपने गायन के सिलसिले में उलझी रही और ब्लोगिंग से दूर रही |अब पुनः अपने देश वापस आने पर कविताओं का सफ़र जारी रहेगा .... अपने विचारों से अवगत कराते   रहिएगा ....वही उर्जा कुछ नया लिखने को प्रेरित करती है ...!!आभार...

24 comments:

  1. यही हम सबकी ऊर्जा का स्रोत है।

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  2. प्रकाशोत्सव की शुभकामनाएं।
    अब आपकी रचनाओं का हमें पठन सुख मिलता रहेगा, खुशी की बात है।

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  3. बहुत सुन्दर लगी ये पोस्ट.........स्वागत है आपका |

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  4. अपने मन...वतन
    और संस्कारों की
    एक मुट्ठी माटी....
    हाथ में बटोर कर ...
    समेट कर ...
    कर ली बंद मुट्ठी ...बहुत ही खुबसूरत भाव से रची रचना....

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  5. देखते ही देखते ...
    खिल गयी कुछ कोमल कोपलें ...
    समेट ली थी माटी ...
    अब सहेजना है ...
    इन्हीं कोमल कोपलों का जीवन ...... मेरी शुभकामनायें हैं खाद की तरह

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  6. देखते ही देखते ...
    खिल गयी कुछ कोमल कोपलें ...
    समेट ली थी माटी ...
    अब सहेजना है ...
    इन्हीं कोमल कोपलों का जीवन ...!!!!!!!!!!!!

    सुन्दर प्रस्तुति ...दीपोत्सव कि शुभकामनायें

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  7. अनोखा
    वाह क्या बात है

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  8. अनोखी पोस्ट
    आभार
    आप ही शब्दों में
    दीपोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें .......
    शुभ ज्योति...नवल ज्योति....
    ज्यों ...ज्यों ...
    बिखेरे अपनी कीर्ति.

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  9. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    कल 28/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  10. बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  11. बहुत ही सुंदर.... शुभकामनायें आपको भी....

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  12. पड़ी कुछ वर्षा की बूँदें.....
    मुझ पर ....
    भीगी सी माटी....
    सोंधी सी खुशबू ...
    बहुत ही सुंदर...

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  13. सुन्दर

    http://www.poeticprakash.com/

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  14. सुन्दर प्रस्तुति.
    प्रकाशोत्सव की शुभकामनाएं.

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  15. आपको भी दीपावली की शुभकामनायें... आपकी कमी सचमुच खल रही थी.

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  16. वाह ...बहुत ही बढि़या ...बधाई सहित शुभकामनाएं ।

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  17. अपनी माटी की सोंधी खुशबू हमेशा हमें जीवंत करती है. हम सब कोंपलें हैं और जब तक अपनी माटी से जुड़े हैं तब तक जीवित हैं. कोंपलों को सहेजना है तो हमें माटी को भी सहेजते रहना होगा,उसे समय से सिंचित करते रहना होगा .
    देश से दूर होने के समय के अपने भावों को आपने बड़े ही सुन्दर ढंग से संजोया है इन पंक्तियों में.

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  18. बहुत सुन्दर ख्याल्।

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  19. दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनायें ......

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  20. दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें .

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  21. बेहद खुबसूरत .. शुभकामना..

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  22. आप सभी की शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से आभार ...!!
    रचना पसंद करने के लिए भी आभार ...!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!