18 May, 2012

अरूप सर्वव्यापी तुम्हारा रूप ... !!

 अरूप ... सर्वव्यापी  तुम्हारा रूप..
 अनेक रंग रंगे -
पाखी पंख  में  भरे ......!!


विविध  रंग रंगी  जल मीन ....
Regal angel fish.
है मन आसीन ....!!
rainbow parrot fish .
दिव्य अनेक रूप में तुम ...
सृजनकर्ता ...!!
Spectacled parrot fish.
नयन में बैठते ...
ह्रदय में पैठते ...
मन में भर भर देते कृतज्ञता...!!
स्मित चितवन लीला निहारूं ....
अमृत वर्षा ..भीग-भीग  जाऊं ...
सिक्त होती जाऊं ...
गुणन के गुण रुच रुच गाऊँ ...
रग-रग ..रंग रंग जाऊं ..
रूप सवारूँ ...
दीजो अलख ज्ञान ...
छोड़ अभिमान ...!!
संवर जाऊं ...
श्रुति प्रज्ञ करूँ ...
गहन अर्थ गहूं ....!!
लीन तुम में हो जाऊं ...!!
प्रभु तुम में खो जाऊं ...!!

*Regal angel fish ---Pygoplites  diacanthus.
*Rainbow parrotfish ----Scaus gaucamaia.

38 comments:

  1. बहुत सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति....

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर रचना,..अच्छी प्रस्तुती,....

    MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....

    ReplyDelete
  3. अहा ! अंतस में उतरते शब्‍द और‍ चित्र .. लाजवाब

    ReplyDelete
  4. सुन्दर दृश्य |
    शब्द सुन्दर |
    बधाई ||

    ReplyDelete
  5. सर्वव्यापी रूप....आह ! अति सुन्दर ...

    ReplyDelete
  6. बहुत आभार शास्त्री जी ...!!

    ReplyDelete
  7. सच में ये तो इत्तेफाक भी हो गया की इधर भी उस चित्रकार के रंग बिखरे हैं ...बहुत सुन्दर लिखा है अनुपमा जी

    ReplyDelete
  8. शब्द और दृश्य की प्राकृतिक उपस्थिति प्रीतिकर है अनुपमा जी - वाह

    ReplyDelete
  9. लाज़वाब...बहूत ही उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार अनुपमा जी

    ReplyDelete
  10. चरणन सुख पाऊँ ....!!
    लीन तुम में हो जाऊं ...!!
    प्रभु तुम में खो जाऊं ...!!


    बहुत सुंदर....
    बस समर्पण !

    ReplyDelete
  11. अब भी यदि लोगों को चित्रकार पहचानने में कठिनाई हो...

    ReplyDelete
  12. समर्पित भाव भरा भक्ति गीत!!

    ReplyDelete
  13. HIS wonders are overwhelming!!!
    सुन्दर प्रस्तुति!

    ReplyDelete
  14. प्रकृति ईश्वर ही तो है....| बहुत सुन्दर प्रस्तुति |

    ReplyDelete
  15. हममे तुममे खडग खंभ में सबमे व्यापत राम . इश्वर प्रदत्त प्रकृति की विभिन्न स्वरूपों की नयनाभिराम छटा.

    ReplyDelete
  16. अहा! अद्भुत चित्रों से सजी पोस्ट।
    कविता गाकर पढ़ा। एक संगीतज्ञ का प्रभाव तो पड़ना ही था।

    ReplyDelete
  17. वाह, सर्वव्यापी रूप....

    ReplyDelete
  18. बहुत सुंदर ...न जाने कितने रंग भरे हैं प्रभु ने ...

    दीजो अलख ज्ञान ...
    छोड़ अभिमान ...!!
    संवर जाऊं ...
    श्रुति प्रज्ञ करूँ ...
    गहन अर्थ गहूं ....!!

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....

    ReplyDelete
  19. भाव भरा भक्ति गीत.

    ReplyDelete
  20. अद्भुत भक्ति सर्वव्यापी का .ह्रदय को झंकृत कर राग में इश्वर की
    चेतना को जागृत करने वाली स्तुति ...नमन ....

    गुणन के गुण रुच रुच गाऊँ ...
    रग-रग ..रंग रंग जाऊं ..
    रूप सवारूँ ...
    दीजो अलख ज्ञान ...
    छोड़ अभिमान ...!!
    संवर जाऊं ...
    श्रुति प्रज्ञ करूँ ...
    गहन अर्थ गहूं ....!!
    चरणन सुख पाऊँ ....!!
    लीन तुम में हो जाऊं ...!!
    प्रभु तुम में खो जाऊं ...!!

    ReplyDelete
  21. सुन्दर तस्वीरें....सुन्दर पोस्ट ।

    ReplyDelete
  22. कोई नई बात नहीं, फिर से परोट फिश देखने आया था।

    ReplyDelete
  23. आध्यात्मिकता के गहन रंग में रंगी विभोर कर देने वाली अद्भुत अनुपम रचना ! इतनी सुन्दर चित्रावली एवं शब्द सर्जना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई अनुपमा जी !

    ReplyDelete
  24. सुन्दर, Spiritual कविता.. और इन चित्रों के साथ बहुत सुन्दर प्रस्तुति भी!
    सादर

    ReplyDelete
  25. सुन्दर चित्र सुन्दर कविता

    ReplyDelete
  26. आपकी कविता का सौन्दर्य बोध , साथ में भावानुकूल चित्रांकन मन -प्राण को छूने वाला है । ये पंक्तियाँ अन्तस् को छू गई -
    नयन में बैठते ...
    ह्रदय में पैठते ...
    मन में भर भर देते कृतज्ञता...!!
    स्मित चितवन लीला निहारूं ....
    अमृत वर्षा ..भीग-भीग जाऊं ...
    सिक्त होती जाऊं ...

    ReplyDelete
  27. अपार रंग बिखरे हैं सृष्टि में...उन्हें समेटा और
    उसके सर्जक के प्रति कृतज्ञता का सुंदर भाव !!!

    ReplyDelete
  28. भक्तिमयी भावमयी सुन्दर चित्रामयी प्यारी-प्यारी अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  29. बहुत सुन्दर प्रस्‍तुति। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  30. सुन्दर प्रस्तुति और चित्र |
    आशा

    ReplyDelete
  31. सचमुच!! प्रभु की हर रचना अपने आप में खो जाने का आमंत्रण देती है...
    बहुत सुंदर सी रचना...
    सादर।

    ReplyDelete
  32. आप सभी का आभार ......
    प्रभु की उपस्थिति को आपने सराहा .....!!!!

    ReplyDelete
  33. प्रभु की सृष्टि में सारे रंग समाये हुए हैं।
    बढि़या कविता।

    ReplyDelete
  34. भगवान को तो मैं भी मानने वाला हूँ...सुन्दर कविता..और उतनी ही सुन्दर हैं तस्वीरें!! :)

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!