22 January, 2014

फिर से शिशिर का स्वागत हो.......!!

यूँ छाई घन घोर कुहेलिका(धुन्ध)
शीत आवरण ओढ़े धरा,
तुहिन(ओस ) की बूँद बूँद लड़ियाँ  लतिका पर,
हो रही स्वागतातुर वसुंधरा....!!

शिशिर ने दे दी है दस्तक
अबोली न रहे मन की कथा,
कुछ तो बोलो कि
रंग बिखरें सूर्य की किरणों से ,
सतरंग सजे नेह गाथा ,

तुम प्रभासित हो
और ....जग पर छा जाओ ऐसे
दैदीप्यमान  उल्लास  तुम्हारा
चीर दे कुहेलिका   …… !!

 फिर सरसो  ऐसे कि
मन पर आह्लाद बरसे......!!
पलक पर पुलक की
कुछ  बूँद दे दो
के तुमसे  ही सुमिर सुमिर
फिर से रुचिर
शिशिर का स्वागत हो.



15 comments:

  1. सूर्य तपने के पहले लुका छिपी कर रहा है।

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  2. शिशिर का आगमन , निदाध से तपती धरती को और भगवन मार्तण्ड को जम्हाई लेने देने के लिए होता है . स्वागत है शिशिर महोदय का .:)

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  3. अति सुंदर ..... कितना सुंदर शाब्दिक चित्रण है .... वाह

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  4. sundarta ........aur prakriti prem ka sundar chitrankan ....

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  5. शिशिर का बहूत सुन्दर स्वागत चित्रण !
    नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
    नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !

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  6. शिशिर का बहुत सु्न्दर स्वागत..

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  7. यहाँ तो दिवाकर एक लम्बे विश्राम के बाद फिर से आभा बिखेर रहे हैं. उम्मीद है वहां भी जल्दी ही ऐसा ही हो और शिशिर का पुनः जोरदार स्वागत हो. अति सुन्दर रचना.

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  8. हर मौसम कुछ न कुछ संदेश देता है..शिशिर भी कुछ कह रहा है..सुंदर भाव !

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  9. सुन्दर भावपूर्ण शब्द ... शरद के स्वागत में ...

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  10. सुंदर शब्दों से शिशिर का स्वागत.... बहुत सुंदर ...

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  11. गहन एवं सुंदर अभिव्यक्ति...

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  12. पलक पर पुलक की
    कुछ बूँद दे दो
    के तुमसे ही सुमिर सुमिर
    फिर से रुचिर
    शिशिर का स्वागत हो.
    ...बहुत सुन्दर...भावों और शब्दों का अद्भुत संयोजन...

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  13. प्रकृति की अनुपम छटा समेटे होती हैं आपकी पोस्ट | बहुत सुन्दर |

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  14. अवश्य .. स्वागत होना ही चाहिए..

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!