12 June, 2022

कविता ही तो है !!

शब्द चुनकर 

मन की विचारधारा में 

बहने का प्रयास ,

क्षण गुणकर ,

रंग बुनकर ,

जीवन सा ,

खिल उठने का प्रयास ,

व्याप्त व्यथा ,

नदी की कथा ,

कहते और कहते रहने का प्रयास ,

तुम हम में बसी 

आत्मा को जीवित रखने का प्रयास ,

और नहीं तो क्या ,

कविता ही तो है !!


अनुपमा त्रिपाठी 

"सुकृति "

20 comments:

  1. आपकी लिखी रचना सोमवार 13 जून 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. आदरणीय संगीता दी सादर नमस्कार ,
      बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने हेतु !!

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  2. बहुत सही
    तभी तो वह कविता है

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को
    'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. आदरणीय अनीता सैनी जी नमस्कार,
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने हेतू!!

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  4. जीवन के रंगों को गूढ़ भावयुक्त शब्दों में बाँधने का प्रयास कविता ही है।
    सुंदर प्रयास।
    सादर।

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  5. बहुत बहुत सुंदर अनुपमा जी।
    कवि के लिए तो कविता संसार की हर भावना का स्रोत है।
    अप्रतिम।

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  6. वाह ! कविता की अनूठी व्याख्या !

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  7. वाह…बहुत खूब

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  8. कहते और कहते रहने का प्रयास... कविता !!
    बहुत ही सुन्दर।

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  9. अद्भुत कविता अनुपमा जी

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  10. कविता को परिभाषित करता सुन्दर सृजन ।

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  11. बहुत सुन्दर

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  12. वाह! बहुत सुंदर भाव!!!

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  13. वह! बहुत सुंदर भाव!!

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  14. ठीक कहा आपने अनुपमा जी। कवि-हृदय का प्रत्येक भाव कविता ही होता है चाहे अभिव्यक्ति का रूप कोई भी हो।

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  15. वाह! गागर में सागर सी आपकी लघु कविता, जीवन के सुंदरतम उद्देश्य की तरफ़ इंगित करती चलती है

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  16. बेशक ! कविता ही है ।

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!