01 July, 2022

उमंग भरा मन ,जीवन !!


उमड़ते हुए भावों की 
वीथी से ,
चुनते हुए शब्दकार के -

शब्द की प्रतीति से ,

रचना से रचयिता तक ,

विलक्षण ,

खिलते कुसुमों से अनुराग लिए ,

पल पल बढ़ता है मन ,

गुनते हुए क्षण क्षण ,

अभिनव  आरोहण ,

बुनते हुए रंग भरे कात से ,

रंग भरा ,

उमंग भरा मन ,जीवन !!!

अनुपमा त्रिपाठी

   "सुकृति"

14 comments:

  1. ये उमंग भर में भरा रहे और भावों की वीथी से शब्दों को चुन कर आप कविता कहती रहें ।
    सुंदर कृति ।।

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  2. सुंदर रचना

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  3. मन में जगी उमंग और उत्साह ही जीवन को अर्थ देते हैं! सुंदर रचना !!

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  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. नमस्कार कामिनी जी !!
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने मेरी रचना को रविवार की चर्चा में स्थान दिया !!

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  5. लिखना भी खिलने जैसा होता है, अब जाना । कोमल अनुभूति सी कविता । अच्छा लगा ।

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  6. प्रकृति में पुष्पित नवल पुष्प सी सुन्दर कविता ।

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  7. बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति।
    सादर

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  8. मन के भावों बखूबी पिरोया है आपने इस सुंदर रचना में ।

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  9. सुन्दर सृजन।

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  10. सुन्दर सृजन।

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  11. बहुत सुन्दर रचना, बधाई अनुपमा जी

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!