22 April, 2010

पलट गए पन्ने-2

पलट गए पन्ने -
और ....
आगे बढ चला जीवन -
जैसे रेत पर बने-

पैरों के निशान मेरे -
पलट कर देखती हूँ ....

सोचती हूँ -
क्या दिया क्या लिया ....-
क्या कुछ छाप छोड़ी ?
क्या पलभर भी 

कोई मुझे -
याद रख पायेगा ?
या सदियों से -

आ रही परंपरा 
कायम रह जायेगी -
विस्मृत सी पड़ जायेगी 

मेरी स्मृति -
धूमिल सी पड़ जाएगी

मेरी छब........!!!

05 April, 2010

मन की सरिता-1

मन की सरिता है
भीतर बहुत कुछ 
संजोये हुए ..
 कुछ कंकर ..
कुछ पत्थर-
कुछ सीप कुछ रेत,
कुछ पल शांत स्थिर-निर्वेग ....
तो कुछ पल ..
कल कल कल अति तेज ,
 मन की सरिता है ,



कभी ठहरी ठहरी रुकी रुकी-
निर्मल दिशाहीन सी....!
कभी लहर -लहर लहराती-
चपल -चपल चपला सी.....!!
बलखाती इठलाती .. ...
मौजों का  राग सुनाती ....
मन की सरिता है.

फिर आवेग जो आ जाये ,
गतिशील मन हो जाये -
धारा सी जो बह जाए ,
चल पड़ी -बह चली -
अपनी ही धुन में -
कल -कल सा गीत गाती  ...
राहें नई बनाती ....,    
मन की सरिता है -

लहर -लहर घूम घूम--
नगर- नगर झूम झूम
छल-छल है बहती जाती ..
जीवन संगीत सुनाती -----
मन की सरिता है !!!