पलट गए पन्ने -
और ....
आगे बढ चला जीवन -
जैसे रेत पर बने-
पैरों के निशान मेरे -
पलट कर देखती हूँ ....
सोचती हूँ -
क्या दिया क्या लिया ....-
क्या कुछ छाप छोड़ी ?
क्या पलभर भी
कोई मुझे -
याद रख पायेगा ?
या सदियों से -
आ रही परंपरा
कायम रह जायेगी -
विस्मृत सी पड़ जायेगी
मेरी स्मृति -
धूमिल सी पड़ जाएगी
मेरी छब........!!!
आगे बढ चला जीवन -
जैसे रेत पर बने-
पैरों के निशान मेरे -
पलट कर देखती हूँ ....
सोचती हूँ -
क्या दिया क्या लिया ....-
क्या कुछ छाप छोड़ी ?
क्या पलभर भी
कोई मुझे -
याद रख पायेगा ?
या सदियों से -
आ रही परंपरा
कायम रह जायेगी -
विस्मृत सी पड़ जायेगी
मेरी स्मृति -
धूमिल सी पड़ जाएगी
मेरी छब........!!!