मंगल दिन .....
उज्ज्वल मन कहे ....
अनुभास सो प्रकाश छायो.......
मन रमायो.......
अनुराग है छायो......
ले हरी नाम ......
मन मनन गुनन की बेला ....
काहे निकला अकेला ....?
हरी मूरत जिस मन मे ...
मन कहाँ अकेला ......??
मन पंछी बन गाये ......
मन सरिता बन बह जाये .....
मन फूल बने खिल जाये ............
मन सूरज सा ...मन रश्मि सा ....मन तारों सा ....मन चन्दा सा .....
झर झर झरते उस अमृत सा ....!!!!!
मन मे तरंग जब जागे .......
कुछ स्पंदन जो दे जाये .....
मन झूम झूम रम जाये ....
उर सरोज सा दिखलाए ......!!
कविता सी गुन गुन गाये ......!!
कविता सी गुन गुन गाये .....!!
उज्ज्वल मन कहे ....
अनुभास सो प्रकाश छायो.......
मन रमायो.......
अनुराग है छायो......
ले हरी नाम ......
मन मनन गुनन की बेला ....
काहे निकला अकेला ....?
मन कहाँ अकेला ......??
मन पंछी बन गाये ......
मन सरिता बन बह जाये .....
मन फूल बने खिल जाये ............
मन सूरज सा ...मन रश्मि सा ....मन तारों सा ....मन चन्दा सा .....
झर झर झरते उस अमृत सा ....!!!!!
मन मे तरंग जब जागे .......
कुछ स्पंदन जो दे जाये .....
मन झूम झूम रम जाये ....
उर सरोज सा दिखलाए ......!!
कविता सी गुन गुन गाये ......!!
कविता सी गुन गुन गाये .....!!