लीला धरते शब्द लीलाधर .....!!
कभी जुलाहा बन
बुनते अद्यतन मन ....
समय से जुड़े ,
बनाते विश्वसनीय सेतु,
कभी खोल गठरी कपास की
बिखरे तितर बितर,
चुन चुन फिर सप्त स्वर,
शब्द उन्मेष
गाते गुनगुनाते,
बुनते धानी चादर
गुनते जीवन
अद्यतन मन.......!!
शब्द फिर सहर्ष अभिनंदित,
स्वाभाविक स्वचालित,
सुलक्षण सुकल्पित,
रंग भरते मन
पुलक आरोहण ,
मनाते उत्स
रचते सत्व ,
लीला धरते शब्द लीलाधर .....!!
कभी जुलाहा बन
बुनते अद्यतन मन ....
समय से जुड़े ,
बनाते विश्वसनीय सेतु,
कभी खोल गठरी कपास की
बिखरे तितर बितर,
चुन चुन फिर सप्त स्वर,
शब्द उन्मेष
गाते गुनगुनाते,
बुनते धानी चादर
गुनते जीवन
अद्यतन मन.......!!
शब्द फिर सहर्ष अभिनंदित,
स्वाभाविक स्वचालित,
सुलक्षण सुकल्पित,
रंग भरते मन
पुलक आरोहण ,
मनाते उत्स
रचते सत्व ,
लीला धरते शब्द लीलाधर .....!!