रमेश बड़ा ही ईमानदार और सज्जन पुरुष है | नेक दिल इंसान ,हर किसी की मदद को तत्पर !!गरीबी में भी कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाये | स्कूल के मास्टर साब ,जो पिताजी के दोस्त भी हैं ,उनके घर बचपन से आना जाना रहा है | उन्हीं की पुत्री सुगंधा कब हृदय में विराजमान हो गई ,पता ही नहीं चला | दोनों मित्र अपने बच्चों के मन की बात जानते थे ,सो यथा समय विवाह हो गया | गाँव का जीवन आसान नहीं होता !! नित नयी मुश्किल का सामना करते हुए रमेश दो पुत्रियों का पिता भी बन गया | उसे अपनी बेटियां बहुत प्यारी थी !! खेत खलिहान पर दिन भर की थकन के बाद जब घर आता ,बच्चों की मीठी मीठी बातों में सरे ग़म भूल जाता | सुगंधा मेहनत कर दिन -ब-दिन दुबली हुई जा रही थी!दूसरे प्रसव में उसे बहुत तकलीफ़ हुई थी और डॉक्टर दीदी ने कह दिया था, "रमेश अब तुम तीसरे बच्चे की सोचना भी मत | "
इसी तरह छुटकी भी अब आठ साल की हो गई थी !! रमेश जहाँ जाता गाँव के बूढ़े उसे आशीष देते कह ही देते ,''एक लड़का हुई जाये | '' रमेश कभी खीज भी जाता | लेकिन समाज का असर मनस्थिति पर हो ही जाता है | रमेश के मन में भी यही विचार धीरे धीरे घर करने लगा | किसी तरह उसने सुगंधा को भी राज़ी कर लिया | जब तीसरे गर्भावस्था की ख़बर डॉक्टर दीदी को मिली तो वे बहुत नाराज़ हुईं | लेकिन इस बार सुगंधा की तबियत बिलकुल ठीक है | उसे खूब भूख़ लगती है ,और चेहरे पर चमक भी आ गई है | सुगंधा को लगा वैभव लक्ष्मी का व्रत कर उसने इस बार लड़का माँगा है ,शायद ईश्वर ने उसकी सुन ली है | रमेश के दिन बदलने से लगे हैं | नित नई परेशानियां दूर भागने लगीं हैं | उसे समझ में आ गया है कि उसका सोया भाग जाग गया है !! ये बच्चा उनके परिवार के लिए भाग्यशाली सिद्ध हो रहा है | सुगंधा जहाँ जाती बड़ी बूढ़ी औरतें अटकलें लगतीं ,''लड़का है '',कुछ कहतीं ,''मुझे तो इस बार भी लड़की ही लगे है |'' सुगंधा धीरे से मुस्कुरा देती | अब वो दिन आ ही गया | जैसे ही बच्चा हुआ ,सुगंघा ने डॉक्टर दीदी से तुरंत पूछा ,''दीदी क्या हुआ ?" अब डॉक्टर दीदी थोड़ी असमंजस में आ गईं कैसे बताया जाये !! उन्होंने टालने की कोशिश की | सुगंधा समझ गई की इस बार भी लड़की है !! उधर रमेश ईश्वर से सुगंधा और बच्चे के लिए दुआ मांग रहा था !! वो ये बात तो जान ही गया था कि बच्चा उसके लिए बहुत किस्मत लेकर आया है और अब उसके दिन फिर गए हैं !! जैसे ही डॉक्टर दीदी प्रसव रूम से बहार आईं उन्होंने बड़ी मायूसी से कहा ,''रमेश इस बार भी लड़की है | '' रमेश के पास दो रास्ते थे ,या तो अपनी किस्मत को ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करे ,या जीवन भर मायूस रहे | उसने मुस्कुराते हुए पूछा ,''दीदी सुगंधा ठीक है न ? और हाँ दीदी इस बच्ची का नाम हमने लक्ष्मी तय किया है |'' डॉक्टर दीदी को अब रमेश और सुगंधा पर गर्व हो रहा था !!
अनुपमा त्रिपाठी
''सुकृति "