रमा मेधावी छात्रा रही | माँ की तबियत अक्सर ख़राब रहती जिसके चलते सात भाई बहनों में सबसे छोटी रमा को बी ए करते ही ब्याह दिया गया था राम मनोहर पंडित जी के ज्येष्ठ पुत्र अमिय से जो कॉलेज में प्रोफेसर है और जी तोड़ मेहनत आई.ए.एस में आने के लिए कर रहा है | यूँ तो सभी स्वभाव से नेक दिल हैं लेकिन अपनी अपनी समस्याओं में उलझे रमा की महत्वाकांक्षा की और किसी का ध्यान ही नहीं गया | और अब तो छोटा बिट्टू भी रमा का समय लिए रहता | लेकिन मेधा उसके दिमाग में इस क़दर छाई रहती कि जब भी समय मिले वो कुछ न कुछ पढ़ती रहती | बाबूजी के साथ टी वी पर भी अच्छे प्रोग्राम देखती और बाकायदा बहस भी करती | बाबूजी प्रसन्न रहते उनकी बहु कितनी गुणवान है |
अमिय का यह दूसरा अटेम्प्ट था इसलिए संजीदा ही रहते पूरे समय पढ़ाई में व्यस्त | अमिय से रमा ने भी इक्ज़ाम देने की बात कही तो वो समझा रमा मज़ाक कर रही है | "ये परीक्षा हंसी खेल नहीं है रमा ''अब रमा चुप रही | पर शाम को कॉलेज से आते हुए जब अमिय फॉर्म ले आया तो रमा की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | कहीं न कहीं बाबूजी की वृद्ध आँखों ने रमा की मेधा परख ली थी | वे एक तरह से रमा के गाइड ही बन गए | अम्मा भी जानती थीं कि बाबू जी जो भी काम हाथ में लेते हैं उसे पूरी तन्मयता से निभाते हैं | बिट्टू को सम्हालने में अम्मा बहुत मदद करतीं | अमिय अपनी ही पढ़ाई में इतने मशगूल थे कि आस पास देखने की फुर्सत ही कहाँ थी | अमिय के साथ ही रमा भी एक के बाद एक सारे एक्ज़ाम पास करती जा रही थी | कल आई. ए.एस का रेसल्ट है | रात भर अमिय और रमा सो भी नहीं पाए | चहलकदमी करते ही सारी रात बीती | कभी कभी बाबूजी की आवाज़ सुनाई पड़ती थी ,''अरे सो जाओ ,सब ठीक होगा | "
अब दस बजे तक का समय कैसे कटे ! लेकिन नौ बजे ही अमिय के मित्र का फोन आया ,''बधाई हो आप दोनों सिलेक्ट हो गए हैं और मज़े की बात है भाभी का स्त्रियों में अव्वल रैंक है !!रमा के आँखों में अविरल अश्रुधारा बह रही थी | वो जानती थी अमिय के प्यार के बिना ,बाबूजी के अथक परिश्रम के बिना और अम्मा के सहयोग के बिना यहाँ तक पहुँचना नामुमकिन ही था !!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति ''
बहुत सुंदर और प्रेरक कहानी । मेधा वाकई नहीं छिपती । सबसे बड़ी बात कि अमिय ने भी कम से कम फार्म ला कर सहयोग तो कर ही दिया ।
ReplyDeleteयदि सब एक दूसरे का सहयोग करें तो मुश्किलें बजी आसान हो जाती हैं ।
बहुत ही सुंदर प्रेरक कहानी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर लघुकथा🙏
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर कहानी
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक धन्यवाद !!
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२२-०४ -२०२२ ) को
'चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं'(चर्चा अंक-४४०८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी लघु कथा को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद अनीता जी !!
Delete@Anupama Tripathi ji बेहद प्रेरक प्रस्तुति ।
ReplyDeleteपरिवार के सहयोग के बिना तो कोई भी परिक्षा पास करना खास तौर पर स्त्रियों के लिए बेहद मुश्किल होता है। बहुत ही सुन्दर प्ररेणा दायक कहानी,सादर नमन
ReplyDeleteसुंदर और प्रेरक कहानी!
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