दादुर ,मोर ,पपीहा गायें,
...रुस रुस राग मल्हार सुनायें ,
...रुस रुस राग मल्हार सुनायें ,
बूंदों की लड़ियों में रिमझिम ,
गीत खुशी के झूमें आयें
टप टप गिरती,झर झर झरतीं
रिमक झिमक पृथ्वी पर पड़तीं
आयीं मन बहलाने लड़ियाँ
जोड़ें जीवन की फिर कड़ियाँ...!!
चलो बाग हिंडोला झूलें
दिन भर के दुख फिर से भूलें...!!
ऊंची ऊंची लेकर पींगें,
मन मोरा रसधार में भींगे...!!
छम छम पैजनियाँ सी बजतीं
आहा , प्रीतिकर झरे प्रतीति !!!!!!
गीत खुशी के झूमें आयें
टप टप गिरती,झर झर झरतीं
रिमक झिमक पृथ्वी पर पड़तीं
आयीं मन बहलाने लड़ियाँ
जोड़ें जीवन की फिर कड़ियाँ...!!
चलो बाग हिंडोला झूलें
दिन भर के दुख फिर से भूलें...!!
ऊंची ऊंची लेकर पींगें,
मन मोरा रसधार में भींगे...!!
छम छम पैजनियाँ सी बजतीं
आहा , प्रीतिकर झरे प्रतीति !!!!!!