मृदुल राग की बानगी ,
नभ घन भर लाई ,
कुंतल सी उड़ती कारी
उजियारी मन पर छाई ...!!
जा री बदरी बांवरी
निरख न मेरो भेस ,
मुतियन बुंदियन बाट तकूँ मैं,
कब सुलझाऊँ केस ……?
आस घनेरी छाई नभ पर ,
बरसे मन हुलसाती ,
पतियाँ भीगी ,
लाई मुझ तक
कुहुक कोयलिया गाती …!!
निमुवा फूले मनवा झूले ,
मियां मल्हार की बहार ,
सावन की ऋतु नेह बरसता ,
हरियाई मनुहार …!!
नभ घन भर लाई ,
कुंतल सी उड़ती कारी
उजियारी मन पर छाई ...!!
जा री बदरी बांवरी
निरख न मेरो भेस ,
मुतियन बुंदियन बाट तकूँ मैं,
कब सुलझाऊँ केस ……?
आस घनेरी छाई नभ पर ,
बरसे मन हुलसाती ,
पतियाँ भीगी ,
लाई मुझ तक
कुहुक कोयलिया गाती …!!
निमुवा फूले मनवा झूले ,
मियां मल्हार की बहार ,
सावन की ऋतु नेह बरसता ,
हरियाई मनुहार …!!