16 July, 2010

वट-वृक्ष-15





अडिग अटल विराट -
वृक्षों का सम्राट ...!!
सदियों से -धरा पर मौन खड़ा  -
जीवन चलचित्र देखता -
यह वट वृक्ष ...!!!





घनी -घनी छायाहै इसकी -
आस्था सा पक्का चबूतरा -
आशा और विश्वास के-

कच्चे धागों से लिपटा ....!!

वक्त का चक्र चलते -चलते ,
कहाँ से कहाँ तक -------

पर कहता सदियों पुरानी-
अपनी वही कहानी .....

कैसे आज भी --
सुहाग की थाली सजाये -

नैनन में कजरा - माथे पे बिंदिया -
मांग में प्रियतम का सिन्दूर --

अपर्णा के साथ वटवृक्ष पूजन ...!
नाक में छोटी सी नाथ --
सर लिहाज़ से ढका हुआ --
अलबेली नार कर श्रृंगार--
सकुचाई सी खड़ी--
वट पूजने को ..........!!!!!

सावित्री का तप उज्जवल -सार्थक है ..
सत्यवान का सत्य -जीवन शाश्वत है ...!!!!

13 comments:

  1. randomly landed here......very nice post...description abt tree is also good.

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  2. सावित्री का तप उज्जवल -सार्थक है ..
    सत्यवान का सत्य -जीवन शाश्वत है ...!!!!

    सार्थक रचना .....!!

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  3. सावित्री का तप उज्जवल -सार्थक है ..

    wakai hai..mera drish vishwash hai isme

    sundar rachna

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  4. वटवृक्ष या वटसावित्री पूजा . हिंदू संस्कृति के कई प्रतीकों में से एक पर आपकी कलम चली . और प्रतीकों पर भी लिखें .

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  5. बहुत सुंदर भाव युक्त कविता

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  6. वक्त का चक्र चलते -चलते ,
    कहाँ से कहाँ तक -------
    पर कहता सदियों पुरानी-
    अपनी वही कहानी .....

    वटवृक्ष की कहानी कहती यह कविता बहुत अच्छी लगी।

    सादर

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  7. मनोहारी रचना..मोहित कर दिया आपने |

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  8. बहुत सुन्दर....
    बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना..

    सस्नेह.

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  9. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  10. आभार संगीता जी नयी-पुराणी हालचाल पर आपने मेरी कविता चुनी ...!!

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  11. मन -भावन रचना .हमारी आस्थाओं की सुन्दरता में लिपटी ,छाँह देती -सी !

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!