अडिग अटल विराट -
वृक्षों का सम्राट ...!!
सदियों से -धरा पर मौन खड़ा -
जीवन चलचित्र देखता -
यह वट वृक्ष ...!!!
घनी -घनी छायाहै इसकी -
आस्था सा पक्का चबूतरा -
आशा और विश्वास के-
कच्चे धागों से लिपटा ....!!
वक्त का चक्र चलते -चलते ,
कहाँ से कहाँ तक -------
पर कहता सदियों पुरानी-
अपनी वही कहानी .....
कैसे आज भी --
सुहाग की थाली सजाये -
नैनन में कजरा - माथे पे बिंदिया -
मांग में प्रियतम का सिन्दूर --
अपर्णा के साथ वटवृक्ष पूजन ...! |
सर लिहाज़ से ढका हुआ --
अलबेली नार कर श्रृंगार--
सकुचाई सी खड़ी--
वट पूजने को ..........!!!!!
सावित्री का तप उज्जवल -सार्थक है ..
सत्यवान का सत्य -जीवन शाश्वत है ...!!!!
randomly landed here......very nice post...description abt tree is also good.
ReplyDeleteसावित्री का तप उज्जवल -सार्थक है ..
ReplyDeleteसत्यवान का सत्य -जीवन शाश्वत है ...!!!!
सार्थक रचना .....!!
सावित्री का तप उज्जवल -सार्थक है ..
ReplyDeletewakai hai..mera drish vishwash hai isme
sundar rachna
वटवृक्ष या वटसावित्री पूजा . हिंदू संस्कृति के कई प्रतीकों में से एक पर आपकी कलम चली . और प्रतीकों पर भी लिखें .
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव युक्त कविता
ReplyDeleteवक्त का चक्र चलते -चलते ,
ReplyDeleteकहाँ से कहाँ तक -------
पर कहता सदियों पुरानी-
अपनी वही कहानी .....
वटवृक्ष की कहानी कहती यह कविता बहुत अच्छी लगी।
सादर
मनोहारी रचना..मोहित कर दिया आपने |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना..
सस्नेह.
bahut hi sundar bhav piroye vatvriksh par.......
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeletesundar rachna..
ReplyDeleteआभार संगीता जी नयी-पुराणी हालचाल पर आपने मेरी कविता चुनी ...!!
ReplyDeleteमन -भावन रचना .हमारी आस्थाओं की सुन्दरता में लिपटी ,छाँह देती -सी !
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