24 March, 2011

ढलता सूरज ............!!

हर एक सांझ -
बीतती चली 
जाती है -
तुम बिन ऐसे -
डूब रहा है सूरज -
मन की असंख्य रश्मियों को -
समेटे हुए जैसे ...!!

  
        
        ऐसी निर्विकार नीरवता में -
              स्वयं से करती हूँ जब संवाद -
                  लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन का 
                        रीता रीता सा स्वाद ...!!

डूबते हुए सूरज के साथ -
क्षीर्ण होतीं 
विकीर्ण आशाएं -
निराशाओं में -
विलीन होती चली -
जाती हैं-
डूब ही जातीं हैं  ...!!

    सूनी सी पगडण्डी 
     क्यों खींच लाती  है
      इस झील तक-
       धूल की गर्द -
         व्यर्थ ही-
           जम जाती है 
             पैरों तक .....!!

शांत सा घर -
वापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
नागिन सी काली रात -
डरपाती  है -
राग दरबारी या मालकौंस -
रह रह कर याद आती है ...!!

जानती हूँ-
मुझ से पहले ही  -
आस का पंछी-
जाग जायेगा कल -
भोर भये कागा  -
तुम्हरे  आवन का -
मन भावन का -
संदेसा लाएगा कल ..........................................................................................!!

28 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव समन्वय्।

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  2. शांत सा घर -
    वापस तो बुलाता है -
    फिर भी -
    अन्धकार गहराता है -
    नागिन सी काली रात -
    डरपाती है -
    राग दरबारी या मालकौंस -
    रह रह कर याद आती है ...!!

    kya kahne hain..bahut khub!!
    waise darpati shabd samajh nahi aaya..!

    ReplyDelete
  3. शांत सा घर -
    वापस तो बुलाता है -
    फिर भी -
    अन्धकार गहराता है -
    नागिन सी काली रात -
    डरपाती है -
    राग दरबारी या मालकौंस -
    रह रह कर याद आती है ...!!

    kya kahne hain..bahut khub!!
    waise darpati shabd samajh nahi aaya..!

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  4. सुहाना सबेरा अवश्य आयेगा।

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  5. है प्रतीक्षित ईश केवल.
    रूप केवल भिन्न है.
    सुन्दर ...

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  6. निर्विकार नीरवता में -
    स्वयं से करती हूँ जब संवाद -
    लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन का
    रीता रीता सा स्वाद ...!!bhawon ko ujaagar karti rachna

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  7. शांत सा घर -
    वापस तो बुलाता है -
    फिर भी -
    अन्धकार गहराता है -
    नागिन सी काली रात -
    डरपाती है -
    राग दरबारी या मालकौंस -
    रह रह कर याद आती है ...!!

    बहुत सुंदर .....

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  8. आप सभी का ह्रदय से आभार मेरी अभिव्यक्ति को पसंद करने के लिए |
    मुकेश जी -डरपाती शब्द ब्रज भाषा से लिया है |या उसका अपभ्रंश भी हो सकता है |हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में गहन रूचि होने के कारण मेरी बहुत रचनाओं में उसका प्रयोग आपको मिलेगा |इस कविता में भी रागों का समय वर्णन भी आपको मिलेगा -जैसे राग दरबारी और मालकौंस देर रात में गाये जाने वाले राग हैं और बहुत गंभीर प्रकृति के राग हैं |इन सभी बातों के प्रयोग से भी कविता अपनी बात कहने में और सक्षम हो जाती है |आशा है अब आप मेरी कविता को और समझ पाएंगे |आपका पुनः बहुत बहुत धन्यवाद अपने विचार देने के लिए |

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  9. जानती हूँ-
    मुझ से पहले ही -
    आस का पंछी-
    जाग जायेगा कल -
    भोर भये -
    तुम्हरे आवन का -
    मन भावन का -
    संदेसा लाएगा कल

    भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

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  10. आशाएं ही जीवन हैं !शुभकामनायें आपको !!

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  11. बहुत खूब लिखा है |बधाई
    आशा

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  12. ऐसी निर्विकार नीरवता में -
    स्वयं से करती हूँ जब संवाद
    लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन क1
    रीता रीता सा स्वाद ...!!
    bahut sundar panktiyaan hain

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  13. adarniya shastri ji ,
    फटाफट चर्चा -
    बहुत बढ़िया चर्चा है -
    बहुत अछे लिनक्स हैं और कार्टून भी बढ़िया हैं -
    मुझे इस चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका -

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  14. ऐसी निर्विकार नीरवता में -
    स्वयं से करती हूँ जब संवाद -
    लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन का
    रीता रीता सा स्वाद ...!!


    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    शुभकामनायें ...

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  15. शांत सा घर -
    वापस तो बुलाता है -
    फिर भी -
    अन्धकार गहराता है -
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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  16. शांत सा घर -
    वापस तो बुलाता है -
    फिर भी -
    अन्धकार गहराता है -
    नागिन सी काली रात -
    डरपाती है -
    राग दरबारी या मालकौंस -
    रह रह कर याद आती है ...!!

    बहुत भावपूर्ण...शब्दों और भावों का बहुत सुन्दर समन्वय..बहुत सुन्दर

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  17. bahut hi sundar kavita hain
    nice blog

    visit mine blog also and follow it if you like it
    http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

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  18. वाह ..निराशाओं के बाद भी आशाओं को समेटती आपकी कविता लाजवाब... उम्दा ..

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  19. बहुत सुन्दर भाव,
    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    शुभकामनायें

    blog par aakar honsla afjai ke liye bahut bahut shukriya

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  20. मुझे बहुत अच्छा लगा आज आपके ब्लॉग पर आ कर.... आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है... अब आता रहूँगा.....

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  21. जानती हूँ-
    मुझ से पहले ही -
    आस का पंछी-
    जाग जायेगा कल -
    भोर भये -.....


    भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई

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  22. Man ke niravata me run-jhun si bajti hui ..bahut sundar

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  23. जानती हूँ-
    मुझ से पहले ही -
    आस का पंछी-
    जाग जायेगा कल -
    भोर भये -
    तुम्हरे आवन का -
    मन भावन का -
    संदेसा लाएगा कल

    मन में आशा का संचार करती बहुत सुन्दर कविता ! प्रियतम के आगमन का शुभ संदेश लेकर आस का पंछी जल्दी आ जाये यही शुभकामना है !

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!