28 July, 2011

स्वरोज सुर मंदिर (4)

मैं सरोज तुम अम्बुज मेरे ...
सरू से दूर कमल मुरझाये ...
ईमन यमन राग बिसराए ..
यमन राग मेरी  तुमसे है ........
निश्चय ही ........!!!!
मध्यम तीवर सुर लगाऊँ .........
जब लीन मगन मन सुर  साधूँ ....
तुममे खो जाऊं ...
आरोहन -अवरोहन सम्पूरण ......!!
अब रात्री का प्रथम प्रहर..

हरी भजन में ध्यान लगाऊँ .....!!

इसी प्रार्थना से स्वरोज सुर  मंदिर की चौथी कड़ी प्रस्तुत है ..!!
सबसे पहले आभार आप सभी का इस श्रंखला में रूचि लेने हेतु ..!
मनोज जी आपने प्रश्न  पूछा था की राग और थाट में क्या अंतर है ..?
आज यहीं से इस आलेख की शुरुआत करती हूँ |आधुनिक काल में यह पद्धति थाट -राग वर्गीकरण के नाम से प्रचलन में आई |जैसा की मैंने आपको बताया था संपूर्ण रगों को ,उनके स्वर प्रयोग के आधार पर ,दस थाटों में विभाजित किया गया है |फिलहाल हम कल्याण थाट की बात कर रहें हैं |कल्याण थाट में कई राग आते हैं ..जैसे -भूपाली,कल्याण,छायानट,केदार,कामोद,गौड़ सारंग,हमीर ...इत्यादि |अब इन्हीं सब रागों से राग कल्याण पर हमने थाट का नाम भी कल्याण कर दिया |तो कल्याण थाट भी है और राग भी |अब भूपाली को लीजिये ...उसका वर्णन करते समय हम कहेंगे थाट- कल्याण ..राग -भूपाली ...|
इस प्रकार हर थाट में कोई एक ऐसा राग होता है जो राग भी है और थाट भी |फिर आगे मैं आपको बताउंगी कि हर थाट में कुछ स्वर संगतियाँ समान होती हैं |हर थाट कि कुछ विशेष बातें होतीं हैं जो उसके अंतर्गत आने वाली हर राग में झलकती है|
थाट कल्याण की मुख्य  विशेषता है तीव्र मध्यम का प्रयोग....!!
यहाँ मैं आपको पुराना लिंक भी दे रहीं हूँ उसको पढ़ने से भी थाट के बारे में समझ और बढ़ सकेगी ...!!
आगली कड़ी में हम चर्चा करेंगे कल्याण थाट की कुछ अन्य विशेषताओं के बारे में ...!!
आपके सुझाव और कुछ अन्य प्रश्न भी आमंत्रित  हैं ....!!

स्वरोज सुर मंदिर (3) क्रमशः...

ये भी पढ़ें ... परिकल्पना पर ..कुछ उनकी कुछ इनकी...
आभार..


28 comments:

  1. संगीत के बारे मे कुछ ग्यान नही आपको पढ कर समझने की कोशिश करती हूँ। धन्यवदा।

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  2. बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी………आभार्।

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  3. सुन्दर संगीत मयी रचना..

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  4. साहित्य और संगीत का समवेत स्वर।

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  5. sangeet ke vishya me behtreen jankari.

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  6. आज 28 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    ____________________________________

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  7. बहुत बढिया, अच्छी जानकारी। आमतौर पर इस विषय की जानकारी लोगों को कम होती है।

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  8. बहुत अच्छी जानकारी देती हुई पोस्ट .......आभार

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  9. बहुत प्रभावी...
    आप संकलनीय जानकारी दे रही हैं...
    सादर...

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  10. इस बार बहुत कुछ समझ में आया। आगे की प्रतीक्षा है।

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  11. स्वरोज सुर मंदिर श्रृंखला की यह कड़ी भी अति सुन्दर

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  12. इस सुन्दर संगीतमय यात्रा के लिए आभार,
    सादर,
    डोरोथी.

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  13. इस सीरीज़ को पढ़ना बहुत रोचक है।

    सादर

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  14. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण पोस्ट! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  15. you are giving very useful and relevant information.Good to read them.

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  16. आज की संगीत की पाठशाला भी अत्यंत रुचिकर रही, आभार !

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  17. मनभावन और रोचक संगीत . मन उत्फुल्ल हुआ .

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  18. संगीत मयी बेहतरीन कविता.

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  19. राग और थाट के बारे में संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित जानकारी मिली, आभार।

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  20. अच्छी जानकारी ...
    हार्दिक शुभकामनायें।

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  21. सुंदर लेख ! अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा ।

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  22. अच्छी संगीत मय रचना |बहुत अच्छी लगी |बधाई
    आशा

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  23. आपकी पोस्ट की चर्चा सोमवार १/०८/११ को हिंदी ब्लॉगर वीकली {२} के मंच पर की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। कल सोमवार को
    ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।

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  24. बहुत आभार प्रेरणा ...मेरी इस पोस्ट को हिंदी ब्लोगर्स के साप्ताहिक मंच पर जगह देने के लिए ...

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!