01 September, 2011

ये दूरी क्यों है ...?

प्रभु ..हम  श्रुति ..तुम  ह्रदय ...
श्रुति से ह्रदय का ...
श्रुति  सुर -ताल  की 
हमसे  तुम्हारा...
नाता क्या है ...?
 क्यों हमारी  श्रुती  ..
तुम्हारे ह्रदय तक नहीं जाती ....?

 ..जन्म दिया ..और पीर भी दी है ...
आओगे फिर पीर हरण को ....
ऐसी एक सौगात भी दी है....!!

नयन निहारें ..
मूक ..प्रतीक्षा ...
अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
क्लेश  ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
मुहँ बाए ही जाता है ...!!
 मन संतप्त
संताप अपरिमित ...!!

फिर भी अब तुम्हें  हैं ...
सहेजित   भावनाएं  समर्पित ..!!
नित्य ही द्वार तुम्हारे...
हे गणेश ..प्रथमेश ...
शीश झुकाएं......
 सुगंध गंध चन्दन लगायें..
फूल चढ़ाएं ...
सर्व गुनी  गुनवंत...
सर्व  व्यापी तुम...सर्व शक्तिमान ..
सार्वभौमिक ये रूप तुम्हारा ..
रचा हुआ यह खेल तुम्हारा ...
 हम-सब की पीर अनसुनी क्यों है ....?
बिसराओ  अपराध हमारे ...
गणनायक  पधारो..द्वारे  हमारे....
हे सुख-शांति निकेतन ...
 .हे भूपति ..भुवनपति ...बुद्धिविधाता ..बुद्धिदाता ....
ह्रदय प्रभु का
सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
कर दो अब तो जग-कल्याण ...
अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?

http://swarojsurmandir.blogspot.com/

36 comments:

  1. भक्तिमयी स्वर, सुन्दर प्रार्थना।

    ReplyDelete
  2. सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
    कर दो अब तो जग-कल्याण ...

    बहुत अच्छी कामना की है आपने। गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

    ReplyDelete
  3. गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ...

    सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. गणेश-चतुर्थी ke अवसर पर गणपति को समर्पित भावपूर्ण रचना,बहुत ही sunder रचना, शब्दों का चयन बहुत sunder hai"

    ReplyDelete
  5. सुन्दर प्रस्तुति...गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  6. गणेशोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  7. गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  8. नयन निहारें ..
    मूक ..प्रतीक्षा ...
    अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
    क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
    मुहँ बाए ही जाता है ...!!
    मन संतप्त
    संताप अपरिमित ...!!
    ab to ganpati aayenge hi

    ReplyDelete
  9. नयन निहारें ..
    मूक ..प्रतीक्षा ...
    अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
    क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
    मुहँ बाए ही जाता है ....

    सुन्दर बिम्ब प्रयोग...
    खुबसूरत रचना...
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  10. सुन्दर ......गणशोत्सव की शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  11. प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं....
    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  12. सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
    कर दो अब तो जग-कल्याण ...
    अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?

    पवित्र पावन कर रही है आपकी निर्मल अभिव्यक्ति.
    भक्ति रस से ओत प्रोत,

    'हे गणेश ..प्रथमेश ..

    आपका गणेश वंदन का सुमधुर गायन झंकृत हो रहा है मन में.

    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  13. नयन निहारें ..
    मूक ..प्रतीक्षा ...
    अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
    क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
    मुहँ बाए ही जाता है ...!!
    मन संतप्त
    संताप अपरिमित ...!!

    अद्भुत शाब्दिक अलंकरण लिए स्तुति.....

    ReplyDelete
  14. सुन्दर प्रार्थना।
    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  15. गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  16. अति सुंदर

    ReplyDelete
  17. सुन्दर प्रस्तुति ...गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  18. वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभव, निर्विघ्नं कुरूमे देवः सर्व कार्येषु सर्वदा

    मुंबई में गणेश उत्सव का आनंद ले रहे है इनदिनों

    ReplyDelete
  19. May Ganpati ji hear u.. n make ol ur wishes cum true... :)

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर प्रार्थना!
    आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  21. इस प्रार्थना में हमारे भी स्वर हैं।

    ReplyDelete
  22. सुन्दर ........आपका हिंदी ज्ञान बहुत अच्छा है |

    ReplyDelete
  23. सर्व मंगल मांगल्ये ... सबका मंगल हो. साधू ..साधू..साधू...

    ReplyDelete
  24. बहुत ही मंगलकारी आह्वान किया है आपने सिद्धिविनायक का ! आपके स्वर में एक स्वर मेरा भी मिला हुआ है इस प्रार्थना में ! गणपति सभीके विघ्न हरें और सबका कल्याण करें यही कामना है ! गणेशोत्सव की सभीको हार्दिक शुभकामनायें !

    ReplyDelete





  25. आदरणीया अनुपमा त्रिपाठी जी
    सादर प्रणाम !

    कुछ ऐसी गड़बड़ियां रहीं कि निरंतर आते रहने के उपरांत भी मैं बहुत समय से अपनी उपस्थिति आपके यहां अंकित नहीं कर पाया

    साथ ही आभारी हूं कि आपने मेरे प्रति स्नेह बनाए रखा है …
    बड़ों का यही तो बड़प्पन होता है ! कृतज्ञ हूं … … …


    आपकी हर रचना की तरह यह भी बहुत उत्कृष्ट रचना है
    आपकी प्रत्येक रचना के लिए आपको साधुवाद !

    ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤

    आपके लिखे दो बसंत गीतों सहित आपकी कोई 4-5 गीत रचनाओं को कई हफ़्तों पहले एक सवेरे धुनें बना कर गा'कर रिकॉर्ड किया था … सोचा था जल्द ही एडिटिंग करके आपको भेज कर सरप्राइज दूंगा …

    लेकिन अब वे कम्प्यूटर में भीड़ में मिल ही नहीं रही … भूल से डिलेट तो शायद नहीं हुई होगी । मिलीं तो आपको कभी भेजूंगा ज़रूर ।
    # आप स्वयं सिद्धहस्त संगीत साधिका हैं …
    आपसे निवेदन है कि कभी अपनी रचनाएं सस्वर भी पोस्ट किया करें ।
    मैंने आपकी बहुत सारी पोस्ट संभाली … लेकिन आपकी स्वरलहरियां सुनने की उत्कंठ अभिलाषा पूर्ण नहीं हुई …

    ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤


    चलते चलते …
    बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
    आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    ♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  26. बहुत सुंदर, भक्तिभाव से ओत प्रोत रचना !

    ReplyDelete
  27. bahut sundar bhagtimay rachna...ganesh utsav ki badhai

    ReplyDelete
  28. मां सरस्वती की आराधना खबी भी बेकार नही जाती । मेर पोस्ट पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  29. सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
    कर दो अब तो जग-कल्याण ...
    अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?
    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति |

    ReplyDelete
  30. बिसराओ अपराध हमारे,
    गणनायक पधारो द्वारे हमारे..

    बहुत सुंदर गणपति वंदना।

    ReplyDelete
  31. गणपति मय हो गया है वातावरण गणपति बप्पा मोरया . आपकी वंदना गणपति तक अवश्य पहुंचेगी . इतनी भावमय जो है

    ReplyDelete
  32. कितने प्रेम ओर आग्रह से बुला रही हो ... विघ्नहारता गणपतिबबा अवश्य तुम्हारी सुनेगे ...... भक्ति ओर प्रेम में डूबी बहुत ही सुन्दर कविता !!!!!!!!!

    ReplyDelete
  33. मेरी इस गणपति-प्रार्थना में आपसभी शामिल हुए ...मेरे सुर में अपने सुर मिलाये ...इससे बड़ा प्रसाद और क्या हो सकता है ...इस बार आपसभी के वचनों में ..मोदक के लड्डू सा आनंद आया ....
    ह्रदय से आभार आप सभी का ....!!!!!!

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!