खिल-खिल जाये ..सकल भुवन अपार .....!!
इन रंगों को देख कर जब कुछ लिखना चाहा....गहन सोच में डूब गया मन .....बरबस यही सोचने लगी..इन रंगों का उद्गम क्या है ...?इतने खूबसूरत रंग आये कहाँ से हैं ...?
स्वयं से प्रश्न तो स्वयं से ही उत्तर .......अपनी माँ ..धरा ..जो हमें धारण करती है ...हमारा पालन करती.....ये रंग उसी के तो हैं ...तब
कुछ इस तरह बह निकले मेरे शब्द...
रंग रेज हो...तुम प्रभु ...
सकल भुवन के ...
साहिब मेरे ....!!कृपा दृष्टि अबके ऐसी दो...
जीवन में बस ऐसे रंग हों....!
हर्ष हो गीत हो नहीं बैर हो...!!बहती धारा रंगों के संग ..
भीगा-भीगा हो..निखरा हो..
सप्त सुरों का गहरा ये रंग...
प्रत्येक सृजन ..!!
सप्त सुरों का गहरा ये रंग...
और बिखरा हो खिलाता सा ..
सृजित ..जीवित ..प्रस्फुटित .. प्रत्येक सृजन ..!!
रंगरेज हो ..तुम प्रभु ..
सकल भुवन के...
साहिब मेरे...
ऐसे कुशल चितेरे ....!!
कीजे किरपा ..
निजजन पर ..
नीलगगन से नील श्याम रंग ...
नीलकंठ की जटा से ये गंग ..
नील धरा की पावस धारा...!!
धन-धन गाए मन मतवारा ..!!
सिंचित....मेरा-सबका ये मन...
अमृत बरसे घर- घर-आँगन...!
पीत सी प्रीत चटख खिले ऐसी ..
हो जाए ..नव-पल्लवी सा. ....
निश्छल कोमल....
खिला-.खिला ..हरित मन..!!
मन में शुभ रंगों की...
ऐसी हो बहार...
ऐसी हो बहार...
बरसे रस फुहार ...
पृथ्वी सा रूप सँवार...
खिल- खिल जाये ..सकल भुवन अपार .....!!
संगीत के विषय में जानना चाहें तो पधारें यहाँ ...मेरा नया ब्लॉग ...
http://swarojsurmandir.blogspot.com/(स्वरोज सुर मंदिर )
मन में शुभ रंगों की...
ReplyDeleteऐसी हो बहार...
बरसे रस फुहार ...
पृथ्वी सा रूप सँवार...सुन्दर पंक्तिया...
bahut sundar abivyakti
ReplyDeleteman rang gaya
तरह तरह के रंग बिखरे हैं,
ReplyDeleteचटख लाल, कुछ चटख हरे हैं।
पीत सी प्रीत चटक खिले ऐसी ..
ReplyDeleteहो जाए ..नव-पल्लवी सा. ....
निश्छल कोमल....
खिला-.खिला ..हरित मन..!!
बहुत ही सुंदर ...
बहुत ही प्यारा और मन को भाने वाल गीत।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर शब्दों में लिखा शानदार गीत मन को छु गया /बहुत बधाई आपको /
ReplyDeleteसुन्दर प्रार्थना ... सारे रंग मिल कर मन में इन्द्रधनुष बना दें ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteमन में शुभ रंगों की...
ReplyDeleteऐसी हो बहार...
बरसे रस फुहार ...
पृथ्वी सा रूप सँवार...
खिल- खिल जाये ..सकल भुवन अपार .....!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अनुपमा जी बधाई
''
नीलगगन से नील श्याम रंग ...
ReplyDeleteनीलकंठ की जटा से ये गंग ..
नील धरा की पावस धारा...!!
धन-धन गाए मन मतवारा ..!!
सिंचित....मेरा-सबका ये मन...
अमृत बरसे घर- घर-आँगन...!
indradhanushi rang her taraf bikhar jaye
अपने रंगों से आपने भादों में फागुन का समां बांध दिया है... बहुत सुंदर प्रार्थना...खिल खिल जाये सकल भवन अपार...शुभकामनायें!
ReplyDelete...ऐसी रंग दे कि रंग नाहि छूटे ...बहुत ही सुंदर रचना ...शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत रंग -बिरंगी ..., खिल खिल जाये ...सकल भुवन अपार
ReplyDeleteकृपा दृष्टि अबके ऐसी दो...
ReplyDeleteजीवन में बस ऐसे रंग हों....!
kyaa baat hai ....!!
रचना और उसका प्रस्तुतीकरण...दोनों...लाजवाब...बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteनीरज '
रंगों का अनुपम समावेश....
ReplyDeleteसुन्दर प्रार्थना!
सभी भावो के रंगो में डूबी मनभावन स्तुति....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावमयी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteइस रचना का रंग मनभावन है।
ReplyDeleteमन पावन शीतल हो गया आपकी यह रचना पढ़...
ReplyDeleteसाधुवाद इस पुनीत कामना के लिए...ईश्वर यह सत्य करें...ईश्वर सबके मन में ऐसे ही पावन भाव भरें...
rangoin main hi rang ghul gaye !!!! inderdhanush ki hi tarah jeevan main rango ka samagan ki adbhut abhivyakti !!!!! bahut hi sunder !!!!!!
ReplyDeleteरंगों से सराबोर ये पोस्ट आपके नाम की तरह ही अनुपम है|
ReplyDeleteवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 08 -09 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज ... फ़ोकट का चन्दन , घिस मेरे नंदन
नीलगगन से नील श्याम रंग ...
ReplyDeleteनीलकंठ की जटा से ये गंग ..
बहुत सुन्दर... भावमयी प्रार्थना....
सादर...
ज़िन्दगी के भी कई रंग हैं.
ReplyDeleteहर तरफ रंग बिखरा पड़ा है इस कविता में . मनमोहक .
ReplyDeleteरंग रेज हो...तुम प्रभु ...
ReplyDeleteसकल भुवन के ...
साहिब मेरे ....!!
कृपा दृष्टि अबके ऐसी दो...
जीवन में बस ऐसे रंग हों...
अपनी तूलिका से उनको मैं एक रूप दे सकूं..
अब अपनी हर पेंटिंग को आरंभ करने से पहले शायद अब भगवान से यही प्रार्थना करेंगे....
बहुत ही मनभावन कविता है ....
एक सखी की कलम और दूजी की तूलिका...
दोनों मिलकर बनाएँ अपने मन के इन्द्रधनुष...
और खिल खिल जाये ..सकल भुवन अपार....
thanx for making my painting more meaningful.....