18 March, 2012

जीवन के साक्षी ....

दुर्भेद्य तम  को चीरती ...
उषा की पहली किरण ...
स्वर्णिम सी .....


नीरव एकांत में ,
जिंदगी  की आहट ...
झीगुर की आवाज़ ....
एक सांस सी ...

तृषा से व्याकुल ह्रदय ...
पा गया है ...
बस एक बूँद ,,,
स्वाति की ओस  सी ...

क्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
बस एक मुस्कान ...
ठंडक सी ...

वृहद् अरण्य पर भटकती रूह ...
मिल गयी मंजिल ...
एक डगर सी ....

डूब के  इस कोलाहल में भी ......
मेरी अनुभूति ....
एक दिव्य मौन सी ...!!

देती है प्रतीति ....
प्रत्येक क्षण में ..कण कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी ......

52 comments:

  1. तम में उषा की किरण, झींगुर नीरव माँय |
    प्यासा चाटे ओस कण, क्रोध करे मुसकाय |

    जंगल में इक पथ मिले, कोलाहल में मौन |
    जीवन के प्रतीति सी, कण कण में तू कौन |

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    1. आभार रविकर जी आपने कविता में चार चाँद लगा दिए ...!आपका कौशल अप्रतिम है ...!!एक जगह टंकण त्रुटि लगती है .....'क्रोध हरे मुस्काय' होना चाहिए क्योंकि कविता में मैं जीवन के साक्षी भाव की बात करना चाहती हूँ इसलिए क्रोध करने कि नहीं बल्कि क्रोध हरने कि बात करना चाहती हूँ ...तभी तुम्हारा ...यानि प्रभु का आभास होता है ...!!...!या मेरा ही आशय स्पष्ट नहीं है ....बताईयेगा ज़रूर ....
      पुनः आभार ...आपने बहुत सुंदर रूप दिया भावों को ...आपकी लेखनी को नमन ...!

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    2. जी जरुर ।
      बधाई जबरदस्त प्रस्तुति पर ।।

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  2. सार्थक प्रस्तुति !

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  3. क्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
    बस एक मुस्कान ...
    ठंडक सी ...
    बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन प्रस्तुति ,...

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  4. देती है प्रतीति ....
    प्रत्येक क्षण में ..कण में ...
    जीवन के साक्षी ....
    तुम्हारे होने के ......
    एक आभास सी ......बस यही आभास बना रहना चाहिये।

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  5. गहराती भावों की उद्विग्नता

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  6. bahut hi gahre bhav.....acchi prastuti

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  7. स्वर्णिम सी रचना व्याकुल ह्रदय को मधुर मुस्कान दे रही है..

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  8. विश्वास चाहता है मन , विश्वास पूर्ण जीवन पर
    सुख दुःख के पुलिन डुबाकर, लहराता जीवन सागर
    कविवर पन्त

    भावो की गूढता डूबते उतराते रहते है . अत्यंत भावप्रवण .

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  9. वृहद् अरण्य पर भटकती रूह ...
    मिल गयी मंजिल ...
    एक डगर सी ....

    मनोभावों का सुंदर रूपांतर।
    बहुत अच्छी कविताएं।

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  10. क्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
    बस एक मुस्कान ... बहुत सुन्दर मधुर भाव

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  11. वाह!!!
    शब्दों का झरना बहा दिया आज तो आपने...

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  12. नीरव एकांत में ,जिंदगी की आहट ...
    झीगुर की आवाज़ ....
    एक सांस सी ...

    तृषा से व्याकुल ह्रदय ...
    पा गया है ...बस एक बूँद ,,,
    ओस सी ...
    वाह, बहुत ही बढ़िया

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  13. इस कविता में यथार्थबोध के साथ कलात्मक जागरूकता भी स्पष्ट है।

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    1. डूब कर इस कोलाहल में भी
      मेरी अनुभूति—
      एक दिव्य मौन सी---
      अति-सुंदर

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    2. डूब कर इस कोलाहल में भी
      मेरी अनुभूति—
      एक दिव्य मौन सी---
      अति-सुंदर

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  14. सुंदर बिंबों से सजी एक सकारात्मक सोच लिए सुंदर रचना

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  15. देती है प्रतीति ....
    प्रत्येक क्षण में ..कण में ...
    जीवन के साक्षी ....
    तुम्हारे होने के ......
    एक आभास सी .....

    गहन अभिव्यक्ति......

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  16. डूब के इस कोलाहल में भी ......
    मेरी अनुभूति ....
    एक दिव्य मौन सी ...!!
    प्रत्येक कण में तुम्हारे होने के एहसास सी !
    वाह ...बेहतरीन !

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  17. बहुत बढ़िया भावपूर्ण प्रस्तुति!

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  18. भावपूर्ण प्रस्तुति!

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  19. देती है प्रतीति ....
    प्रत्येक क्षण में ..कण में ...
    जीवन के साक्षी ....
    तुम्हारे होने के ......
    एक आभास सी ......


    बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी मधुर भावाभिव्यक्ति....

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  20. उर्मिला सिंह जी कि टिप्पणी ...मेल द्वारा प्राप्त हुई ....

    डूब कर इस कोलाहल में भी
    मेरी अनुभूति—
    एक दिव्य मौन सी---
    अति-सुंदर


    आभार उर्मिला जी ...

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  21. || मुस्कानों की बात है, अजब निराली जान
    अंधियारा हरता सदा, उज्जर कर दे प्राण ||

    बहुत सुन्दर रचना.
    सादर

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  22. खूबसूरत भाव संयोजन सुन्दर प्रस्तुति |

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  23. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    जितने सुन्दर चित्र उतनी सुन्दर रचना...बधाई स्वीकारें



    नीरज



    नीरज

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  24. behad khoobsoorat bhavpoorn aur sashakt rachna...badhayee.

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  25. मन का भावों की सुन्दर अभिवयक्ति |


    टिप्स हिंदी में

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  26. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

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  27. वाह, बहुत सुंदर
    क्या कहने

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  28. वाह !!! बहुत सुन्दर..

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  29. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    अद्भुत रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

    नीरज

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  30. डूब के इस कोलाहल में भी ......
    मेरी अनुभूति ....
    एक दिव्य मौन सी ...!!

    देती है प्रतीति ....
    प्रत्येक क्षण में ..कण में ...
    जीवन के साक्षी ....
    तुम्हारे होने के ......
    एक आभास सी ......

    बहुत अच्छी रचना। अनुभूतियों की गहराई में डूबकर मोती चुने हैं आपने। मेरी बधाई और नए संवत्सर की शुभकामनाएँ।

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    1. बहुत आभार दिनेश जी ...!!
      नवरात्री की मंगलकामनाएं ...!!

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  31. जीवन के साक्षी भाव पर हस्ताक्षर करने के लिए आप सभी का बहुत बहुत आभार ....ईश्वर करें नव वर्ष सभी के लिए जीवन से भरे रंग लाए .....

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  32. mangakmay ho aapko bhi .dhnyavad mere blog ki sarthakta siddha karne hetu .

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  33. जीवन के साक्षी केा अस्तित्व हमें पल पल अनुभव होता रहता है । सुंदर रचना ।

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  34. वाह...
    मंगल कामनाएं आपको !

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  35. बहुत अभिव्यक्ति से परिपूर्ण सुन्दर रचना.

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  36. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,

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  37. बहुत सुंदर ईश्वर के अस्तित्व को ऐसे ही महसूस किया जा सकता है ।

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  38. Aap behad achha likhtee hain...deewali mubarak ho!

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  39. दीपावली की अनेक शुब कामनाएं ।

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!