दुर्भेद्य तम को चीरती ...
उषा की पहली किरण ...
स्वर्णिम सी .....
नीरव एकांत में ,
जिंदगी की आहट ...
झीगुर की आवाज़ ....
एक सांस सी ...
तृषा से व्याकुल ह्रदय ...
पा गया है ...
बस एक बूँद ,,,
स्वाति की ओस सी ...
क्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
बस एक मुस्कान ...
ठंडक सी ...
वृहद् अरण्य पर भटकती रूह ...
मिल गयी मंजिल ...
एक डगर सी ....
डूब के इस कोलाहल में भी ......
मेरी अनुभूति ....
एक दिव्य मौन सी ...!!
देती है प्रतीति ....
प्रत्येक क्षण में ..कण कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी ......
उषा की पहली किरण ...
स्वर्णिम सी .....
नीरव एकांत में ,
जिंदगी की आहट ...
झीगुर की आवाज़ ....
एक सांस सी ...
तृषा से व्याकुल ह्रदय ...
पा गया है ...
बस एक बूँद ,,,
स्वाति की ओस सी ...
क्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
बस एक मुस्कान ...
ठंडक सी ...
वृहद् अरण्य पर भटकती रूह ...
मिल गयी मंजिल ...
एक डगर सी ....
डूब के इस कोलाहल में भी ......
मेरी अनुभूति ....
एक दिव्य मौन सी ...!!
देती है प्रतीति ....
प्रत्येक क्षण में ..कण कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी ......
तम में उषा की किरण, झींगुर नीरव माँय |
ReplyDeleteप्यासा चाटे ओस कण, क्रोध करे मुसकाय |
जंगल में इक पथ मिले, कोलाहल में मौन |
जीवन के प्रतीति सी, कण कण में तू कौन |
आभार रविकर जी आपने कविता में चार चाँद लगा दिए ...!आपका कौशल अप्रतिम है ...!!एक जगह टंकण त्रुटि लगती है .....'क्रोध हरे मुस्काय' होना चाहिए क्योंकि कविता में मैं जीवन के साक्षी भाव की बात करना चाहती हूँ इसलिए क्रोध करने कि नहीं बल्कि क्रोध हरने कि बात करना चाहती हूँ ...तभी तुम्हारा ...यानि प्रभु का आभास होता है ...!!...!या मेरा ही आशय स्पष्ट नहीं है ....बताईयेगा ज़रूर ....
Deleteपुनः आभार ...आपने बहुत सुंदर रूप दिया भावों को ...आपकी लेखनी को नमन ...!
जी जरुर ।
Deleteबधाई जबरदस्त प्रस्तुति पर ।।
आभार ।
Deleteसार्थक प्रस्तुति !
ReplyDeleteक्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
ReplyDeleteबस एक मुस्कान ...
ठंडक सी ...
बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन प्रस्तुति ,...
वाह ..
ReplyDeleteबढिया !!
देती है प्रतीति ....
ReplyDeleteप्रत्येक क्षण में ..कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी ......बस यही आभास बना रहना चाहिये।
गहराती भावों की उद्विग्नता
ReplyDeletebahut hi gahre bhav.....acchi prastuti
ReplyDeleteस्वर्णिम सी रचना व्याकुल ह्रदय को मधुर मुस्कान दे रही है..
ReplyDeleteबहुत सुंदर,रचना......
ReplyDeleteMY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
सुंदर भाव।
ReplyDeleteविश्वास चाहता है मन , विश्वास पूर्ण जीवन पर
ReplyDeleteसुख दुःख के पुलिन डुबाकर, लहराता जीवन सागर
कविवर पन्त
भावो की गूढता डूबते उतराते रहते है . अत्यंत भावप्रवण .
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteवृहद् अरण्य पर भटकती रूह ...
ReplyDeleteमिल गयी मंजिल ...
एक डगर सी ....
मनोभावों का सुंदर रूपांतर।
बहुत अच्छी कविताएं।
क्रोधाग्नि पर बरसती झमाझम ....
ReplyDeleteबस एक मुस्कान ... बहुत सुन्दर मधुर भाव
वाह!!!
ReplyDeleteशब्दों का झरना बहा दिया आज तो आपने...
नीरव एकांत में ,जिंदगी की आहट ...
ReplyDeleteझीगुर की आवाज़ ....
एक सांस सी ...
तृषा से व्याकुल ह्रदय ...
पा गया है ...बस एक बूँद ,,,
ओस सी ...
वाह, बहुत ही बढ़िया
इस कविता में यथार्थबोध के साथ कलात्मक जागरूकता भी स्पष्ट है।
ReplyDeleteडूब कर इस कोलाहल में भी
Deleteमेरी अनुभूति—
एक दिव्य मौन सी---
अति-सुंदर
डूब कर इस कोलाहल में भी
Deleteमेरी अनुभूति—
एक दिव्य मौन सी---
अति-सुंदर
सुंदर बिंबों से सजी एक सकारात्मक सोच लिए सुंदर रचना
ReplyDeleteदेती है प्रतीति ....
ReplyDeleteप्रत्येक क्षण में ..कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी .....
गहन अभिव्यक्ति......
डूब के इस कोलाहल में भी ......
ReplyDeleteमेरी अनुभूति ....
एक दिव्य मौन सी ...!!
प्रत्येक कण में तुम्हारे होने के एहसास सी !
वाह ...बेहतरीन !
सुंदर कोमल भावपूर्ण कविता
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भावपूर्ण प्रस्तुति!
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति!
ReplyDeleteदेती है प्रतीति ....
ReplyDeleteप्रत्येक क्षण में ..कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी ......
बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी मधुर भावाभिव्यक्ति....
उर्मिला सिंह जी कि टिप्पणी ...मेल द्वारा प्राप्त हुई ....
ReplyDeleteडूब कर इस कोलाहल में भी
मेरी अनुभूति—
एक दिव्य मौन सी---
अति-सुंदर
आभार उर्मिला जी ...
|| मुस्कानों की बात है, अजब निराली जान
ReplyDeleteअंधियारा हरता सदा, उज्जर कर दे प्राण ||
बहुत सुन्दर रचना.
सादर
खूबसूरत भाव संयोजन सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
ReplyDeleteजितने सुन्दर चित्र उतनी सुन्दर रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
नीरज
behad khoobsoorat bhavpoorn aur sashakt rachna...badhayee.
ReplyDeleteमन का भावों की सुन्दर अभिवयक्ति |
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteवाह, बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
वाह !!! बहुत सुन्दर..
ReplyDeletesundar post.
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDeleteअद्भुत रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
नीरज
डूब के इस कोलाहल में भी ......
ReplyDeleteमेरी अनुभूति ....
एक दिव्य मौन सी ...!!
देती है प्रतीति ....
प्रत्येक क्षण में ..कण में ...
जीवन के साक्षी ....
तुम्हारे होने के ......
एक आभास सी ......
बहुत अच्छी रचना। अनुभूतियों की गहराई में डूबकर मोती चुने हैं आपने। मेरी बधाई और नए संवत्सर की शुभकामनाएँ।
बहुत आभार दिनेश जी ...!!
Deleteनवरात्री की मंगलकामनाएं ...!!
जीवन के साक्षी भाव पर हस्ताक्षर करने के लिए आप सभी का बहुत बहुत आभार ....ईश्वर करें नव वर्ष सभी के लिए जीवन से भरे रंग लाए .....
ReplyDeletemangakmay ho aapko bhi .dhnyavad mere blog ki sarthakta siddha karne hetu .
ReplyDeleteजीवन के साक्षी केा अस्तित्व हमें पल पल अनुभव होता रहता है । सुंदर रचना ।
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteमंगल कामनाएं आपको !
बहुत अभिव्यक्ति से परिपूर्ण सुन्दर रचना.
ReplyDeletekhoobsurat rachna......
ReplyDeleteबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
ReplyDeleteबहुत सुंदर ईश्वर के अस्तित्व को ऐसे ही महसूस किया जा सकता है ।
ReplyDeleteAap behad achha likhtee hain...deewali mubarak ho!
ReplyDeleteदीपावली की अनेक शुब कामनाएं ।
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