आस जब दूर होती है ...
ह्रदय का नूर होती है ...
पलक से छलक जाती है ...
निराशा झलक जाती है ...!!
आस जब नैन बसती है ...
.निगाहें राह तकती हैं ...!!
फिर जब पास आती है ...
...तो थोड़ा मुस्कुराती है ...
... आस जब कंठ सजती है ...
...गुन-गुन गीत गाती है ..!!
आस जब साथ उड़ती है ....
जीवन से प्रीत होती है .....!!
आस जब जाग जाती है ...
तब ही तो सुबह होती है ...!!
Glittering ...I see the spark in your eyes ....!
Hope is bright ...
as bright as the red colour .....
mind's paradigm ......
stretch your hands ......
widen your horizon ....
and ...with a bright hope ....
Go ahead .....
TREAD THE PATH OF LIFE .....IN PURSUIT OF HAPPIENESS .....!!!
बहुत सुन्दर अनुपमा जी....
ReplyDeletebubbling with hope and happiness......
regards.
आस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ... बहुत खुबसूरत अहसास..
खूबसूरत विचार |
ReplyDelete-- बहुत ही भावपूर्ण कृति !
ReplyDeleteपूर्णता की आस रह रह हृदय कचोटती है, थोड़ी और ऊर्जा भी भर जाती है।
ReplyDeleteआस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ...
इसी आस के सहारे जीवन आगे चलता है.... मन को संबल देती रचना
आस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ...!!
सुंदर... सच्ची बात... सार्थक अभिव्यक्ति...
सादर बधाई।
आस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ...!!सही बात।।
आस पर ही तो दुनिया टिकी है..
ReplyDeleteHope rings eternal:)
ReplyDeletenice post!
आस जब दूर होती है ...
ReplyDeleteह्रदय का नूर होती है .
वाह ...बहुत ही बढिया।
आपके गायन की छाप, आपकी कविता में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है.. और यह एक अद्भुत संगम होता है, जहां भाव स्वतः प्रवाहित होते हैं और शब्द गुनगुनाते हैं!! इस कविता के साथ भी यही स्थिति है मेरे मन में!! आभार!
ReplyDeleteआस जब दूर होती है ...
ReplyDeleteह्रदय का नूर होती है ...सुंदर प्रस्तुति...........
सही कहा...
ReplyDeleteआस जब जाग जाती है ...
तब ही प्रात होती है ...!!
बहुत संदेशप्रद रचना, बधाई.
सच कहा आस जब जाग जाती है
ReplyDeleteतभी प्राप्त होती है
क्यूंकि इसी आस पर तो दुनिया कायम है :)
जी बहुत बढिया
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत खूबसूरत !
ReplyDeleteआस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ...!!बहुत सही दृष्टिकोण
आस की डोर पकडे हम बाधा को पार करने की उर्जा प्राप्त करते है . ये आस जीवन की सबसे अच्छी उत्प्रेरक है . सुँदर
ReplyDeleteजो आस संजोए रहता है, उसे निराशा कभी हाथ नहीं आते।
ReplyDeleteआस की डोर मजबूती से खींचती चली जाती है .बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteसुन्दर शब्द सटीक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआस बनी रहे जो जीवन भी आसान होता है ... सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ...!!
...बिलकुल सच...आशा ही जीवन का संबल है...
बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
ReplyDeletesachchaai ko liye hue khoobsurat shabd.sundar rachna.
ReplyDeleteआस को लगे है काव्यमय भावनाओं के पंख!!
ReplyDeleteअति सुन्दर, सादर.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर भी पधारें.
यहाँ देखो ...आनंद की आस का अश्वमेध आ रहा हैं .....आभार
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है आपकी अनुपमा जी.
ReplyDeleteअनुपम आस का मधुर अहसास कराती.
अंधकारमयी रात का अंत कर प्रकाशमयी प्रात का स्मरण कराती.
प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार जी.
क्षमा प्रार्थी हूँ देर से आने के लिए.
अस्वस्थता के कारण ब्लोग्स पर आना जाना बहुत कम रहा.
आपकी मेल के लिए भी आभारी हूँ.
बहुत उम्दा एवं भावपूर्ण...अच्छी लगी रचना.
ReplyDeleteआस जब जाग जाती है ...
ReplyDeleteतब ही प्रात होती है ...!!
आस ही तो है जो जीने का हौसला देती है .... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
आस की पूर्णता की ओर अग्रसर होती बहुत ही सुकुमार सी मधुर रचना ! बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत ही मधुर अहसास -------अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteअपने विचारों से आपने मेरा ब्लॉग सुशोभित किया .....बहुत आभार आप सभी का ......!!
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास ,जो मैंने भी समझे और मन को भी भाए|
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!