चहकते हैं ...बुलबुल की बोली में ...
मन की झोली में ..
अबकी होली में ...
काफी ठाट के राग ....
कभी षडज-मध्यम के संवाद ...!!
बागेश्री जैसे ....!!
या षडज पंचम के संवाद ...
काफी..भीमपलासी जैसे ..!!
ये रंग ...ये उमंग ...
डुबकी लगाती हिय बोर-बोर ...
फिर-फिर ..फुदक-फुदक ..पंख झटकाती......
हुलसाती ..झड़-झड़ छिटकाती रंग .....
खेले होरी धरा के संग ...
काफी राग के रंग ...
ज्यों उड़त अबीर गुलाल ...
लाल-लाल ..
बैंगनी ..हरा गुलाबी
नीला पीला ..चटकीला ...
सप्त सुरों की
उठती सतरंगी...तरंग .....
डाल-डाल फुर-फुर ..उड़-उड़ .....
रंग लिए उड़ जाती है ....
धरा पर बिखरी अद्भुत छटा का ...
पंखों में रंग भर लाती है ... ...
फिर धरा पर ही झटकाती है ..छिटकाती है ....उड़ जाती है ........... ...
आज फिर मेरी बुलबुल ....
मुझे सतरंगी रंगों से जुड़ना सिखाती है ...!!!
राग ''काफी "गाती है ....
मेरी बुलबुल मुझे बहुत भाती है ... !!
*जब हम राग बागेश्री गाते हैं तो तानपुरे पर षडज के साथ मध्यम बजाया जाता है ।बागेश्री गाने के लिए उचित श्रुति तभी मिलती है ....!!
*होली काफी राग में ही ज्यादातर गाई जाती है ..!
*बागेश्री ,काफी और भीमपलासी ...ये तीनो ही काफी ठाट के राग हैं ....!!
मन की झोली में ..
अबकी होली में ...
Scarlet Tanager (Piranga olivacea) |
कभी षडज-मध्यम के संवाद ...!!
बागेश्री जैसे ....!!
या षडज पंचम के संवाद ...
काफी..भीमपलासी जैसे ..!!
ये रंग ...ये उमंग ...
डुबकी लगाती हिय बोर-बोर ...
Golden Pheasant(Chrysolophus pictus) |
हुलसाती ..झड़-झड़ छिटकाती रंग .....
खेले होरी धरा के संग ...
काफी राग के रंग ...
ज्यों उड़त अबीर गुलाल ...
लाल-लाल ..
बैंगनी ..हरा गुलाबी
नीला पीला ..चटकीला ...
सप्त सुरों की
उठती सतरंगी...तरंग .....
डाल-डाल फुर-फुर ..उड़-उड़ .....
रंग लिए उड़ जाती है ....
धरा पर बिखरी अद्भुत छटा का ...
फिर धरा पर ही झटकाती है ..छिटकाती है ....उड़ जाती है ........... ...
आज फिर मेरी बुलबुल ....
मुझे सतरंगी रंगों से जुड़ना सिखाती है ...!!!
राग ''काफी "गाती है ....
मेरी बुलबुल मुझे बहुत भाती है ... !!
*जब हम राग बागेश्री गाते हैं तो तानपुरे पर षडज के साथ मध्यम बजाया जाता है ।बागेश्री गाने के लिए उचित श्रुति तभी मिलती है ....!!
*होली काफी राग में ही ज्यादातर गाई जाती है ..!
*बागेश्री ,काफी और भीमपलासी ...ये तीनो ही काफी ठाट के राग हैं ....!!
संगीता और काव्य का अनोखा संगम ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसंगीतात्मक काव्य इश्वर वंदना जैसे . मन प्रफुल्लित होता है पढ़कर .
ReplyDeleteसुन्दर..........
ReplyDeleteराग और रंग का अनोखा संगम.......
बहुत प्यारी रचना अनुपमा जी.
rang, bulbul aur holi, sangeet aur kaavya ka adbhut mail....
ReplyDeleteराग रंग का सुंदर संगम,बहुत सुंदर रचना,इस बेहतरीन प्रस्तुति....अनुपमा जी बधाई
ReplyDeleteMY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
राग रंग का अद्भुत ताल मेल अच्छा लगा ...होली की ढेरों शुभ कामनाएं
ReplyDeleteशास्त्रीय संगीत के रागों से सजी सुन्दर रचना
ReplyDeleteअद्भुत प्रस्तुति...
ReplyDeleteसादर बधाईयाँ..
संगीत के बारे में और ज्ञान बढ़ा हम सबका..
ReplyDeleteइस संगीतमयी सुरीली प्रस्तुति ने मन मोह लिया ! रंगों की अद्भुत छटा बिखेरी है इस प्यारी सी चंचल बुलबुल ने ! खूबसूरत रचना के लिये आभार एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteराग और रंगों से सजी आपकी यह रचना प्यारी लगी अनुपमा जी - रचना खुद कह रही है कि कवयित्री को साहित्य के साथ साथ रागों की भी पकड़ है - बधाई
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
ReplyDelete♥
आज फिर मेरी बुलबुल ....
मुझे सतरंगी रंगों से जुड़ना सिखाती है ...!!!
राग ''काफी "गाती है ....
मेरी बुलबुल मुझे बहुत भाती है ... !!
आहाऽऽहाऽऽ… ! बहुत सुंदर !!
आदरणीया अनुपमा जी
आपने इसकी धुन कैसे बनाई है , सुनने की बहुत उत्कंठा है …
हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुन्दर मनमोहित करती रचना ..
ReplyDeleteसुन्दर भाव संयोजन....
आज फिर मेरी बुलबुल ....
ReplyDeleteमुझे सतरंगी रंगों से जुड़ना सिखाती है ...!!!
राग ''काफी "गाती है ....
मेरी बुलबुल मुझे बहुत भाती है ... !!
बहुत सुंदर
क्या कहने
रागों की लय ताल लिए .. संगीतमय रचना ...
ReplyDeleteबुलबुल की बोली बहुत प्यारी होती है
ReplyDeleteसादर
कल 12/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
bahut sunder ...... bulbul ke sath rango ki chata bikhar gayi
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..अद्भुत.
ReplyDeletewah kya khoob likha hai anupama ji apne ...bilkul sahaj prawah ke sath ....adbhud rachana.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.. मन खुश हो गया
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteरागात्मक प्रस्तुति मन मोह गयी...
ReplyDeleteकविता में रागोंका जिस प्रकार आपने प्रयोग किया है, इससे रागों की प्रवृत्ति मधुरता पूर्णतः मुखरित हो उठी है...
और चित्रों का समायोजन...तो वाह भाई वाह...
कुल मिलकर हृदयहारी प्रस्तुति...
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर...
संगीत मय, चित्र मय और राग मय इस सुंदर प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteअनुपमा जी बहुत ही सुन्दर गीत बधाई |
ReplyDeleteसंगीत और काव्य का सुंदर संगम एव बहुत ही सुंदर भाव संयोजन से सजी सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteक्या बताऊं .. अनुपम !
ReplyDeleteरंग, उमंग और संगीत का संगम ... अद्भुत!
आपने ब्लॉग जगत में काव्य को एक अलग आयाम और नई ऊंचाइयां दी है। बस आपका स्वर ऐसे ही चलता रहे और हम आनंद के रंग में डुबते रहें।
kavyamay sangeet:)
ReplyDeleteanupama ji blog par kai din bad aana hua meri maa ka holi se next day dehant ho gaya tha man theek nahi tha aaj hi net par aai hoon .
ReplyDeleteaapki kavita tan man donon me rang bharti hai.bahut pyaari prastuti.
राजेश जी आपकी माँ के विषय में जान कर दुःख हुआ !!माँ से आत्मिक जुड़ाव होता है जिसकी भरपाई संभव नहीं होती |ईश्वर के आगे हम बेबस ही हैं ...!यही सोच कर तसल्ली कीजिये ,एक दिन तो उनको जाना ही था ...!!उनकी आत्मा कि शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना करती हूँ ...!
Deleteआप सभी का मन से आभार मेरी बुलबुल पसंद करने के लिए ...!
ReplyDeleteआदरणीय अनुपमा जी
ReplyDeleteनमस्कार !
...मुझे बहुत भाती है मेरी बुलबुल... !!
जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ !
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
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