03 December, 2012

बेला उषा की आई .....

बेला हेमंत उषा की आई .....!!
पनिहारिन मुस्काई  ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला उषा की आई ...!!

सर पर गगरी ...
मग चलत ...डग भरत....
मुड़त -मुड़त  हेरत   जात ...
हिया चुराए ...पग डोलत जात ....
वसुंधरा भई नार नवेली ....
 हँसत-मुस्कात ....
राग *'भिन्न षडज' गात  चलत जात  ....
नित प्रात ......रसना ......
प्रेम सागर सों भर-भर गागर ...
कैसी नभ से जग  पर छलकाई ....!!

आनन स्मित आभ सरस छाई .......
......प्रेम धुन धूनी रमाई ...
...बेला उषा की आई ...!!

मोद मुदित जन जन .....
धरा खिली कण कण ....
आस मन जागी ...
ओस से भीगी ....
श्यामा सी छवि सुंदर ....
श्याम मन भाई ...
बेला उषा की आई ....!!!

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भिन्न षडज -हेमंत ऋतु  में गाया जाने वाला राग है ..!!


28 comments:

  1. बहुत प्यारी सुबह....
    मन में उजास भर गयी...

    सस्नेह
    अनु

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  2. श्यामा सी छवि सुंदर .
    श्याम मन भाई ..
    बेला उषा की आई.........बहुत बहुत सुंदर रचना ,मन प्रसन्न हो जाता |

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  3. सुबह की तरह ताज़ा पंक्तियाँ.

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  4. श्यामा सी छवि सुंदर ....
    श्याम मन भाई ...
    बेला उषा की आई ....!!!
    वाह ...अनुपम भाव लिये उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति

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  5. शब्द और भाव मिलकर सुन्दर सी छटा बिखेर रहे हैं, ऊषा बेला की... मनोहारी रचना

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  6. सच ही मुदित हो गया मन भोर का वर्णन पढ़ कर

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  7. श्यामा सी छवि सुंदर ....
    श्याम मन भाई ...
    बेला उषा की आई ....!!!

    मनभावन...सुंदर रचना !!

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  8. बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  9. हेमंत की भोर का मनोहारी वर्णन ..... सुंदर प्रस्तुति

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  10. वैसे तो अभी रात है यहाँ पर पढ़ कर ऐसा लग रहा है जैसे प्रभात हो चुका है.
    सुन्दर कविता.

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  11. हृदयाकाश पर भोर की लालिमा छा गयी ..

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  12. सुर (स्वर )और शब्दों की रागात्मक ,माधुरी है यह गुनगुनी लोरी सी बंदिश ,शब्द सौन्दर्य देखते ही बनता है .

    बीती विभावरी जाग री ,अम्बर पनघट में डुबो रही ,तारा घाट ऊषा (उष :) नागरी .

    बेला उधा की आई ,राग रागिनी लाई ऋतु हर्षाई .

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  13. श्यामा सी छवि सुंदर ....
    श्याम मन भाई ...
    बेला उषा की आई ..
    vaah bahut sundar ...

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  14. प्रभात का मनमोहक अभिवादन!! बधाई!!

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  15. मनोरम चित्रण

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  16. पारंपरिक बिम्बों से लहराता प्रेम का अजस्र स्रोत

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  17. हेमंत ऋतु का स्वागत इससे अच्छे गीत के साथ हो ही नहीं सकता वाह बहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

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  18. माधुर्य से ओतप्रोत कविता !

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  19. आ हा हा -- एक अलग स्वाद - मृदुल भाव - सुन्दर शब्द - मोहक चित्र - क्या कहने? अनुपमा जी - बधाई

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com

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  20. कितनी खूबसूरत उषा की किरण !
    बहुत प्यारी !

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  21. सुधि पाठकों का बहुत आभार ....

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  22. विलम्ब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ अनुपमा जी ! उषा बेला का इतना मनोहारी एवं सरस चित्रण किया है कि यहाँ परदेश में भी मनमयूर नाच उठा ! बहुत ही सुन्दर !

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  23. बेला उषा की आई है......मनभावन चित्रण ...........

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  24. आदरणीय अनुपमा जी आपके इतने खुबसूरत शुभ प्रभात के लिए प्रणाम सहित शुभ प्रभात .

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  25. सुबह की शबनम सी कोमल ... ताज़ा ...
    बहुत सरस चित्रण ...

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!