बेला हेमंत उषा की आई .....!!
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला उषा की आई ...!!
सर पर गगरी ...
मग चलत ...डग भरत....
मुड़त -मुड़त हेरत जात ...
हिया चुराए ...पग डोलत जात ....
वसुंधरा भई नार नवेली ....
हँसत-मुस्कात ....
राग *'भिन्न षडज' गात चलत जात ....
नित प्रात ......रसना ......
प्रेम सागर सों भर-भर गागर ...
कैसी नभ से जग पर छलकाई ....!!
आनन स्मित आभ सरस छाई .......
......प्रेम धुन धूनी रमाई ...
...बेला उषा की आई ...!!
मोद मुदित जन जन .....
धरा खिली कण कण ....
आस मन जागी ...
ओस से भीगी ....
श्यामा सी छवि सुंदर ....
श्याम मन भाई ...
बेला उषा की आई ....!!!
**************************
भिन्न षडज -हेमंत ऋतु में गाया जाने वाला राग है ..!!
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला उषा की आई ...!!
सर पर गगरी ...
मग चलत ...डग भरत....
मुड़त -मुड़त हेरत जात ...
हिया चुराए ...पग डोलत जात ....
वसुंधरा भई नार नवेली ....
हँसत-मुस्कात ....
राग *'भिन्न षडज' गात चलत जात ....
नित प्रात ......रसना ......
प्रेम सागर सों भर-भर गागर ...
कैसी नभ से जग पर छलकाई ....!!
आनन स्मित आभ सरस छाई .......
......प्रेम धुन धूनी रमाई ...
...बेला उषा की आई ...!!
मोद मुदित जन जन .....
धरा खिली कण कण ....
आस मन जागी ...
ओस से भीगी ....
श्यामा सी छवि सुंदर ....
श्याम मन भाई ...
बेला उषा की आई ....!!!
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भिन्न षडज -हेमंत ऋतु में गाया जाने वाला राग है ..!!
बहुत प्यारी सुबह....
ReplyDeleteमन में उजास भर गयी...
सस्नेह
अनु
श्यामा सी छवि सुंदर .
ReplyDeleteश्याम मन भाई ..
बेला उषा की आई.........बहुत बहुत सुंदर रचना ,मन प्रसन्न हो जाता |
बेला उषा की आई है......
ReplyDeleteबहुत बढ़िया |
मेरी नई पोस्ट-तेरे इश्क़ में जालिम बदनाम हो गए
ब्लॉग"दीप":कृपया अपनी राय दें
सुबह की तरह ताज़ा पंक्तियाँ.
ReplyDeleteश्यामा सी छवि सुंदर ....
ReplyDeleteश्याम मन भाई ...
बेला उषा की आई ....!!!
वाह ...अनुपम भाव लिये उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
शब्द और भाव मिलकर सुन्दर सी छटा बिखेर रहे हैं, ऊषा बेला की... मनोहारी रचना
ReplyDeleteसच ही मुदित हो गया मन भोर का वर्णन पढ़ कर
ReplyDeleteश्यामा सी छवि सुंदर ....
ReplyDeleteश्याम मन भाई ...
बेला उषा की आई ....!!!
मनभावन...सुंदर रचना !!
मन में आस बरसाई..
ReplyDeleteबहुत खूबशूरत सुंदर रचना,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteहेमंत की भोर का मनोहारी वर्णन ..... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteवैसे तो अभी रात है यहाँ पर पढ़ कर ऐसा लग रहा है जैसे प्रभात हो चुका है.
ReplyDeleteसुन्दर कविता.
हृदयाकाश पर भोर की लालिमा छा गयी ..
ReplyDeleteसुर (स्वर )और शब्दों की रागात्मक ,माधुरी है यह गुनगुनी लोरी सी बंदिश ,शब्द सौन्दर्य देखते ही बनता है .
ReplyDeleteबीती विभावरी जाग री ,अम्बर पनघट में डुबो रही ,तारा घाट ऊषा (उष :) नागरी .
बेला उधा की आई ,राग रागिनी लाई ऋतु हर्षाई .
श्यामा सी छवि सुंदर ....
ReplyDeleteश्याम मन भाई ...
बेला उषा की आई ..
vaah bahut sundar ...
प्रभात का मनमोहक अभिवादन!! बधाई!!
ReplyDeleteमनोरम चित्रण
ReplyDeleteपारंपरिक बिम्बों से लहराता प्रेम का अजस्र स्रोत
ReplyDeleteहेमंत ऋतु का स्वागत इससे अच्छे गीत के साथ हो ही नहीं सकता वाह बहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteमाधुर्य से ओतप्रोत कविता !
ReplyDeleteआ हा हा -- एक अलग स्वाद - मृदुल भाव - सुन्दर शब्द - मोहक चित्र - क्या कहने? अनुपमा जी - बधाई
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
कितनी खूबसूरत उषा की किरण !
ReplyDeleteबहुत प्यारी !
सुधि पाठकों का बहुत आभार ....
ReplyDeleteविलम्ब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ अनुपमा जी ! उषा बेला का इतना मनोहारी एवं सरस चित्रण किया है कि यहाँ परदेश में भी मनमयूर नाच उठा ! बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteबेला उषा की आई है......मनभावन चित्रण ...........
ReplyDeleteआदरणीय अनुपमा जी आपके इतने खुबसूरत शुभ प्रभात के लिए प्रणाम सहित शुभ प्रभात .
ReplyDeleteसुबह की शबनम सी कोमल ... ताज़ा ...
ReplyDeleteबहुत सरस चित्रण ...