16 July, 2013

माहिया ....

हरियाली छाई है ...
वर्षा की बूँदें ...
कुछ यादें लाई हैं ....



ये चंचल सी बूँदें  ...
मन मेरा भीग रहा  ...
लगी  प्रीत मेरी खिलने ...!!




नहीं   कोई  कहानी है ...
मन मे  बसी मेरे ....
शब्दों की रवानी है ...

तुम  घर अब आ जाओ ...
सांझ घिरी कैसी...
मेरी पीर मिटा जाओ ..!!

ये  मन  भरमाया है ...
मेहँदी  रंग लाई ......
मोरा पिया घर आया है ...!

बूंदन  रस बरस रहा ...
नित नए पात  खिले ....
धरती मन हरस रहा ...!!


झर झर गिरती  बूंदें ...
खनक  रही ऐसे  ....
जैसे   झूम रही बूंदें ...!!

मेरा माहिया आया है ...
लड़ियन बुंदियन का
सेहरा मन भाया  है ...

मेरे कदम क्यूँ बहक रहे ...
वर्षा झूम रही ...
बन मोर हैं थिरक रहे ....!!

धिन धिन तक तक करतीं ...
साज   रही बूंदें ...
धरती पर जब गिरतीं ...!!
*********************************************************

पहली बार महिया लिखने की कोशिश की है ....!!आशा है आप सभी पाठक गण इसे पसंद करेंगे ।

41 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 17/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. हृदय से आभार यशोदा ....

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  2. सच में दीदी
    मैं तो बिलकुल
    भींग ही गई
    छतरी भी काम न आई

    सादर

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    1. :)).....साथ खींच लिया वर्षा मे ......और देखो तुमने मुझे भी कैसे भिगो दिया ....!!

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  3. सुहानी सी यादों के साथ ...बेहद खूबसूरत रचना

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  4. बहुत सुंदर, शुभकामनाये

    यहाँ भी पधारे
    दिल चाहता है
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html

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  5. बहुत ही लाजवाब और सशक्त पोस्ट
    मैं तो सीखने बैठ गई
    हार्दिक शुभकामनायें

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  6. बहुत ही लाजवाब पोस्ट.....
    मैं तो सीखने बैठ गई
    नकल हो जाये तो डांटना नहीं
    हार्दिक शुभकामनायें

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    1. :))....ऐसा ही प्यार बनाए रखिए ....!!

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  7. मन मोर .मचाये शोर ,घटा घनघोर
    नज़रों में छाये माहिया चारो ओर ....

    सुंदर भाव ...बधाई !

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  8. बहुत सुन्दर शब्द. वर्षा की तरह ही मन को भिंगोनेवाला.

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  9. मन मे बसी मेरे ....
    शब्दों की रवानी है ...

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  10. शब्दों की मोहक बरसात , आत्मीयता से भीगता गात .
    रकृति की कुशल चितेरी , अनुपम राग, दृष्टि अभिजात
    शुभ प्रभात अग्रजा.

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  11. अनुपम..भिंगा कर प्रीत खिला रही है..

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  12. हम हँसते रहें
    यह दिखती रहे

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  13. तुम अब घर आ जाओ ...
    सांझ घिरी कैसी...
    मेरी पीर मिटा जाओ ..!!
    मन का प्यास बुझा जाओ ..... बहुत सुन्दर रचना !!
    latest post सुख -दुःख

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  14. वाह.वर्षा की जीवंत चित्राण..मन मोहक रचना..

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  15. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!

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  16. गर्मी में ठंडक पड गई है, बहुत ही सुंदर.

    रामराम.

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  17. अनुपमा जी, इसे गाकर पढने का प्रयत्न किया अच्छा लगा..आप इसे अपनी आवाज में पेश करें..

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    1. शुभकामनाओं के लिए आभार अनीता जी ....इनको गाने की बात मेरे मन में भी आई थी !ज़रूर कोशिश करती हूँ ....!!हृदय से आभार .....!!

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  18. तुम घर अब आ जाओ ...
    सांझ घिरी कैसी...
    मेरी पीर मिटा जाओ ..

    सुन्दर भावमय प्रस्तुति ...

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  19. बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......

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  20. सुन्दर भावों की बरसात हो गई यह तो :)

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  21. तभी तो मन कहता है ...."कुछ बात तो है" रचना में .....अनुपमा जी

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  22. बहुत सुंदर माहिया लिखे हैं .... महिया भी झमाझम बरसे हैं :):)

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  23. तुम घर अब आ जाओ ...
    सांझ घिरी कैसी...
    मेरी पीर मिटा जाओ ..

    गहरे भावो की अभिवयक्ति******

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  24. वाह , मन भी भीगा भीगा हुआ !!

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  25. बहुत बढ़िया लगी पोस्ट।

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  26. सुंदर रसीली सावनी माहिया ।

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  27. मेरे कदम क्यूँ बहक रहे ...
    वर्षा झूम रही ...
    बन मोर हैं थिरक रहे ....!!

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  28. ये मन भरमाया है ...
    मेहेंदी रंग लाई ......मेहँदी रंग लाई
    मोरा पिया घर आया है ...!


    झर झर गिरती बूंदें ...
    खनक रही ऐसे ....खनक रहीं ऐसे
    जैसे झूम रही बूंदें ...!!

    मेरा माहिया आया है ...
    लड़ियन बुंदियन का
    सेहरा मन भाया है ...

    बेहतरीन बिम्ब मूर्तं चित्र प्रेमी का संजोया है प्रांजल भाषा में .ओम शान्ति

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  29. उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का हृदय से आभार ....!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!