04 July, 2013

चंपई गुलाबी पंखुड़ी पर ...


स्मित  बनफूलों का
सौम्य तारुण्य ...!!
चंपई गुलाबी  पंखुड़ी पर ...
चाँदनी  का
चांदी सा छाया लावण्य ...!!
भीनी भीनी सी खुशबू  ले .....
बहती हुई ये अलमस्त पवन ...
बूंद बूंद बरस रहा है ...
मेघा का रस पावन ...

स्निग्ध  चांदनी में डूबा
कल्पनातीत वैभव ....
सरसता  हुआ मन ...!!
रुका  हुआ क्षण ...!!
अनिमेष सुषमा का ,
कर रहा रसास्वादन .....!!!!

अंबर की  रस फुहार ....
हो रही बार-बार ....
बरस रहा आसाढ़ ......
भीग रहा मन चेतन ...!!

कैसी अनुभूति है ...??
छुपी कोई अदृश्य आकृति है ....???
कौन है यहाँ
जो मुझे रोक लेता है ...????
नमन करने तुम्हारी कृति पर ...
और ...अपनी सीली सीली सी ...
मदमस्त सुरभि से ...
तुम्हारी उपस्थिति का भान कराता है ...

मेरे  ह्रदय के आरव   श्रृंगों  को .....
भिगोने लगता  है
वाणी के उजास  से ......
चेतना आप्लावित  होती है
अंतस तक ....!!
और इस तरह
तुम ही करते हो ....
मेरा मार्ग प्रदर्शन ....
और प्रशस्त  भी ....!!




36 comments:

  1. बहुत सुन्दर ..कितना कुछ कह दिया ... शब्दों में...अनुपमा जी

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  2. मेरे ह्रदय के आरव श्रृंगों को .....
    भिगोने लगता है वाणी के उजास से ......
    चेतना आप्लावित होती है अंतस तक ....!!
    और इस तरह तुम ही करते हो ....
    मेरा मार्ग प्रदर्शन ....और प्रशस्त भी ....!!

    बहुत ही सुंदर.

    रामराम.

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  3. बहुत सुन्दर,बेहतरीन भाव!

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  4. वाह....
    बहुत सुन्दर.....
    मन को खुश करती रचना.

    अनु

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  6. वाह अनुपममा जी बिलकुल आप ही की तरह अनुपम भाव संयोजन... कोमल एहसासों से बुनी बहुत ही सुंदर रचना।

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  7. बेहद सुन्दर।
    ख़ूबसूरत शब्द, और आध्यात्मिक चेतना से भरी हुई रचना।
    सादर
    मधुरेश

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  8. हृदय से आभार शिवम भाई ....!!

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  9. बहुत सुंदर,लेखनी को शुभकामनाये


    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/01/yaadain-yad-aati-h.html

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  10. कोमल मन भावों का अद्भुत चित्रण।

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  11. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल शनिवार 06/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार यशोदा ....!!

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  12. कितनी प्यारी रचना है. अंतर्मन को आक्लिन्न और आलोकित करती हुई.

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  13. ईश्वर की उपस्थिती का आभास प्रकृति के हर रूप में होता है .... उत्तम भावों से रची सुंदर रचना ।

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  14. waah...anupam shabd saundarya...apki har rachna ki khasiyat uska shabd vinyas hota hai..sundar aur sarthak rachna ke liye badhai.

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  15. मेरे ह्रदय के आरव श्रृंगों को .....
    भिगोने लगता है वाणी के उजास से ......
    चेतना आप्लावित होती है अंतस तक ....!!
    और इस तरह तुम ही करते हो ....
    मेरा मार्ग प्रदर्शन ....और प्रशस्त भी ....!!

    बहुत सुंदर ! अनुपमा जी,सचमुच परमात्मा प्रकृति के माध्यम से हमें कुछ कहना चाहता है...

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  16. अंतर्मन को आलोकित करती हुई
    बहुत सुंदर रचना

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  17. वाह बहुत सुंदर, मन प्रसन्‍न हो गया

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  18. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना... !!

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  19. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।।

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  20. सूबह सुबह, मन फ्रेश हो गया...

    मंगलकामनाएं आपको !

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  21. शब्दों के माध्यम से जड़, चेतन दोनों का स्पष्ट चित्रण कर जाती है आप. अद्भुत है दी .

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  22. बहुत ही प्यारी मनभावन रचना...
    :-)

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  23. भींगी-भींगी सी अनुभूति..अद्भुत..

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  24. स्निग्ध चांदनी में डूबा कल्पनातीत वैभव ....
    सरसता हुआ मन ...!!
    रुका हुआ क्षण ...!!
    अनिमेष सुषमा का कर रहा रसास्वादन .....!!!!

    अंबर की रस फुहार ....हो रही बार-बार ....
    बरस रहा आसाढ़ ......भीग रहा मन चेतन ...!!

    चित्रण कोमल भाव लिए स्निग्ध प्रकृति का अनुपम चित्रण

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  25. बहुत सुंदर और कोमल चित्रण आषाढी बरखा का ,साथ ही एक अलोकिक अनुभूति...बूंदों की रिमझिम में तो वैसे भी सबकुछ भीगा भीगा सा खूबसूरत
    ही लगता है .....साभार.....

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  26. वाह वाह बहुत सुन्दर।

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  27. बरसात और चंपा का खिलना वाह क्या खूब लिखा है ।

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  28. सुन्दर कोमल मनोहर रचना भाषिक और अर्थ सौंदर्य लिए .ॐ शान्ति .

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  29. बहुत सुन्दर.........बरस रहा आसाढ़ ......भीग रहा मन चेतन ...!!

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  30. शुभ वचनो हेतु हृदय से आभार .....!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!