26 June, 2013

देवभूमि बन .... रहने दो मन ...

छाई कैसी अंधियारी ....!!
गगन मेघ  काले  देख ...
मछली सी तड़प उठी ...
कलप उठी पीर....
 बहे अंसुअन नीर ....

त्रिदेव ...बंद करो त्रिनेत्र का तांडव ...
बहुत भुगत चुकी अब ....

होने दो ..फिर आज ...
नित  प्रात  की ...
निज  प्रात ...!!
अढ़सठ तीरथ घट भीतर मेरे ....
स्फटिक के शिवलिंग सजात ...!!

मोगरे के पुष्प तोड़ ...
जग  से मुख मोड़  ...

आज घट भीतर करूँ अर्पण ....
स्वीकारो मेरा कुसुम तर्पण ...

पुनः करूँ वंदन .....
वंदनवार बनाऊँ ...
मन-मंदिर  सजाऊँ ...

प्रकृति सा प्राकृत ....
पुनः   करो सुकृत ...
देवभूमि बन ....
अब रहे  मन ...




39 comments:

  1. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 29/06/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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    1. बहुत आभार यशोदा मेरी रचना हलचल पर लेने हेतु ....!!

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  2. सच में त्रिपुरारी अपना तीसरा नेत्र खोल दिया था , लेकिन वो भोले भंडारी है , आर्तनाद सुनके पिघल भी जाते है .

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  3. सच्ची प्रार्थना ...जरूर सुनेंगे भोले नाथ.

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  4. देवभूमि की पीड़ा .... देवता को सुननी ही होगी .... मन से की गयी प्रार्थना प्रभु सुनेंगे ही .... सुंदर रचना

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  5. आज घट भीतर करूँ अर्पण ....
    स्वीकारो मेरा कुसुम तर्पण ...
    सुंदर प्रार्थना....

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  6. सामायिक-सुंदर कविता

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  7. आपकी मनोकामना पूर्ण हो
    और चारो ओर शांति व्याप्त हो
    ऐसी ही मैं भी दुआ कर रही
    हार्दिक शुभकामनायें

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  8. सच्चे मन से की गयी प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है..
    सुन्दर...
    :-)

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  9. त्रिदेव ...बंद करो त्रिनेत्र का तांडव ...
    बहुत भुगत चुकी अब ....

    खुबसूरत ईश वंदना

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  10. ...जरूर सुनेंगे सच्ची प्रार्थना

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  11. धुर्जटि से सुन्दर विनती. उन्हें अपनी निद्रा तोड़ हम सब को सुनने की शीघ्र जरूरत है.

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  12. प्रांजल रचना भाव और अर्थ सौन्दर्य बिम्ब विधान की श्रेष्ठता लिए .ॐ शान्ति .

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  13. होने दो आज.. नित प्रात की.. !! निज प्रात... !! गहन भाव लिए हुए... सुंदर रचना !!

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  14. बहुत सुन्दर प्रार्थना।

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  15. he bholeshankar...........ab to kuchh karo
    khubsurat prarthna...

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  16. बहुत मनमोहक प्रार्थना ... मन भीतर मंदिर देव तुम आ बसों ... सादर

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  17. देवभूमि यह सचमुच!
    किन्तु दानवी-क्रीड़ा नर की
    भग्न कर रही सब कुछ!
    इन विषम प्रहरों में यह प्रार्थना ही कुछ आश्वस्त करती है!





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  18. आपकी प्रार्थना सफल हो............

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  19. तीसरा नेत्र हम बच्चों के पास ही है .शिव के बच्चों के पास .शिव ने ही हमें यह ज्ञान दिया है .वह तांडव नहीं करता .तांडव कराते हैं हमारे कर्म ,प्रकृति के साथ हमारी छेड़छाड़ .ॐ शान्ति .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  20. बारम्बार वन्दनीय है ये वंदना..

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  21. प्रकृति सहेजे अपनी गरिमा,
    शेष क्षोभ का विशद बिखरना।

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  22. इश्वर ये प्रार्थना ज़रूर सुने ....ऐसी विनाशलीला कभी न हो ...पर मनुष्यों को
    भी सद्बुद्धि मिले ....ये जो घटा है हमारे कर्म फल ही हैं....

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  23. आप के दिल से निकली प्रार्थना समस्त
    मानव और जीव के हित में है ....
    शुभकामनायें!

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  24. बहुत ही भाव विभोर करती रचना अनुपमा जी ! मन मंदिर में ही पूजा अर्चना अर्पण तर्पण कर लें वही उचित होगा ! इन दिनों त्रिपुरारी रुष्ट प्रतीत होते हैं ! जाने कब उनका यह रोष शांत होगा ! बहुत सुंदर रचना !

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  25. देवभूमि बन रहे अब मन ।
    सुंदर प्रार्थना अवश्य फलित होगी ।

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  26. आभार आप सभी का आपने मेरे हृदय के उद्गार पर अपने अपने विचार दिये ...!!प्रलय ही आई थी उत्तराखंड में.....!!
    लोगों की बिपदा देख कर बहुत दुख हो रहा था ...!!
    शिव सबको सद्बुद्धि दें की अपनी भूमि की रक्षा हम स्वयं कर सकें ...!!

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  27. The metaphor in this poem and the pain it portrays is tremendous.

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  28. अनुपमा जी, सचमुच आज देश के लिए बहुत बड़ी आपदा की घड़ी है, दिल से निकली दुआ कभी व्यर्थ नहीं जाती..ह्रदय से उठे उद्गार पहुंचे हैं अवश्य अस्तित्त्व तक..

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  29. बहुत सुंदर.सटीक.बधाई!

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  30. कैसे मिल पाएंगे ?जो लोग,खो गए घर से,
    मां को,समझाने में ही,उम्र गुज़र जायेंगी !

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  31. प्रार्थना हम सबकी भी यही है, कृपा करेंगे भोलेनाथ,यहाँ भी पधारे



    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_3.html

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  32. शुक्रिया अनुपमा जी उत्साह बढाने का .ॐ शान्ति .चार दिनी सेमीनार में ४ -७ जुलाई ,२ ० १ ३ ,अल्बानी (न्युयोर्क )में हूँ .ॐ शान्ति .
    .ॐ शान्ति .

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  33. बहुत ही सुन्दर, मनोरम वंदन।

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  34. सभी के हृदय की प्रार्थना को स्वर देती कविता!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!